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अभिषेक बिस्सा

जोधपुर. कोरोनाकाल ने नि:संतान दंपतियों के लिए वरदान कहे जाने वाले इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) की रफ्तार एकाएक कम कर दी। कुछ तो लॉकडाउन के दौरान आवागमन के साधनों की कमी और कुछ संक्रमण के खतरे के चलते बहुत कम जोड़े आइवीएफ सुविधा वाले अस्पतालों में पहुंचे। जिन महिलाओं में अंडे बनने की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी, वे जरूर जैसे-तैसे आइवीएफ सेंटर पहुंची, लेकिन अब अनलॉक में गाड़ी फिर पटरी पर आने लगी है।

जोधपुर में आधा दर्जन से अधिक निजी चिकित्सा संस्थानों में आइवीएफ सुविधा है। सावधानी के साथ आइवीएफ चिकित्सा संस्थानों ने काम शुरू कर दिया है। फिर भी पहले के मुकाबले अब भी आधे से कम केस आ रहे हैं।

एक माह में हो जाते थे सवा सौ केस
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले जोधपुर में ही विभिन्न संस्थानों में आइवीएफ के लगभग सवा सौ मामले आइवीएफ के हो जाते थे, लेकिन पहले तो काम बिल्कुल ही बंद रहा। अब काम शुरू हुआ है तो प्रति माह लगभग 50 से 60 मामले आ रहे हैं।

केस-1

जयपुर के गरिमा व रमन (परिवर्तित नाम) की शादी 30 की उम्र के बाद हुई। दस साल से संतान नहीं हुई तो इन्होंने आइवीएफ का विकल्प चुना। कोरोना के दौरान जयपुर में कुछ समय के लिए आइवीएफ सेंटर बंद रहे। इधर चिकित्सकों ने जल्द आइवीएफ की सलाह दे दी। ऐसे में दम्पत्ती जोखिम उठाकर जोधपुर आए और यहां आइवीएफ करवाया।

केस -2

जोधपुर निवासी विनीता और मुकेश (बदला हुआ नाम) शादी के 15 वर्ष बाद में संतान सुख हासिल नहीं कर पाए। अभिभावकों ने आइवीएफ कराने की सहमति भी दे दी, लेकिन कोरोना आड़े आ गया। डॉक्टर्स ने विनीता को कोरोनाकाल में फिलहाल रूकने की सलाह दी। यह दम्पत्ती अब भी कोरोना खत्म होने के इंतजार में है।

अब आने लगे

आइवीएफ कोरोनाकाल में तीन-चार माह बंद रहा। अब सुरक्षा मापदंडों के साथ आइवीएफ तो शुरू कर दिया है लेकिन पहले के मुकाबले 50 फीसदी दंपती ही पहुंच रहे हैं। मरीजों में बार-बार अस्पताल आने से संक्रमण का डर रहा, लेकिन धीरे-धीरे लोग अब आने लगे हैं।

-डॉ. संजय मकवाना, वसुंधरा हॉस्पिटल

दंपती टाइम निकाल पहुंच रहे हैं

कोरोनाकाल में आइवीएफ के केस घटे है। पहले के मुकाबले 30-40 प्रतिशत केस कम है। दूसरा अभी लोग ट्रेवल भी कम कर रहे है। फिर भी सुरक्षा मापदंडों के मद्देनजर आइवीएफ किए जा रहे हैं।

– डॉ. सुमन गालवा, श्रीराम हॉस्पिटल

हाइरिस्क के कारण मरीज घबराते है

आइवीएफ में मरीज की सोनोग्राफी, एनेस्थेसिया में वर्क आदि कई कार्य हाइरिस्क में आते है। इस कारण दंपती थोड़ा बचते है। अब नई ईक्सी प्रणाली आ गई है। आइवीएफ में पुरुष के सिमन्स व महिला का अंडा लेकर मिक्स कर गर्भाशय में स्थापित करते है, लेकिन ईक्सी में अंडे में चयनित स्पर्म सीधा डालते है। नई टेक्निक से नि:संतान दंपतियों को राहत मिल रही है।

– डॉ. बीएस जोधा, सीनियर प्रोफेसर, गायनी विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज

Source: Jodhpur

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