बाड़मेर. एक तरफ जहां शिक्षकों को बीएलओ ( बूथ लेवल अधिकारी) पद से हटाने के आदेश हो रहे हैं तो दूसरी ओर जिले में सुपरवाइजर का पद भी शिक्षकों के गले डाल दिया है। इसके चलते शिक्षक शिक्षण कार्य से ज्यादा चुनावी माथापच्ची में फंस कर रह गए हैं।
चुनावों से पहले मतदान सूचियों का पुनरीक्षण हो या फिर चुनाव सरगॢमयों के दौरान व्यवस्थाओं का जिम्मा सब काम बीएलओ के नाते शिक्षक ही संभाल रहे हैं। इतना ही नहीं अब बीएलओ के सुपरविजन का जिम्मा सुपरवाइजर के रूप में अध्यापक ही निभा रहे हैं जबकि पूर्व में पटवारी व भू अभिलेख निरीक्षक उक्त कार्य करते थे।
स्थिति यह है कि जिले में 32०० शिक्षक बीएलओ है तो 45०० सुपरवाइजर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। शिक्षकों को शिक्षण कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य नहीं सौंपा जाए इसको लेकर लम्बे समय से शिक्षक मांग कर रहे थे। उन्होंने विशेषकर बीएलओ का जिम्मा अन्य कार्मिकों को सौंपने की मांग करते हुए भारत निर्वाचन आयोग तक को शिकायत की। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने बीएलआे लगाने को लेकर गाइड लाइन जारी की जिसमें स्पष्ट किया कि शिक्षण कार्य प्रभावित होने के कारण शिक्षकों को बीएलओ नहीं लगाया जाए।
बावजूद इसके जिले में इसकी पालना होती नजर नहीं आती। स्थिति यह है कि जिले में करीब 3500 बीएलओ कार्यरत है जिसमें से शिक्षकों की तादाद 3200 है। शिक्षकों के अनुसार पद रिक्तता के चलते शिक्षण कार्य वैसे भी प्रभावित होता है उसके बाद बीएलओ पद पर अध्यापकों की नियुक्ति से बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकू ल प्रभाव पड़ रहा है। क्योंकि बीएलओ को पूरे साल चुनाव संबंधी कुछ न कुछ कार्य करना होता है। कभी मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्य होता है तो कभी विभिन्न चुनावों की तैयारियों को लेकर बैठकें।
सुपरवाइजर का जिम्मा भी पड़ा गले– एक तरफ जहां शिक्षक बीएलओ नहीं लगाने की मांग कर रहे थे तो दूसरी ओर जिले में बीएलओ के कार्य को देखने का सुपरवाइजर का पद भी शिक्षकों को ही सौंप दिया। वर्तमान में द्वितीय व प्रथम श्रेणी शिक्षक सुपरवाइजर का कार्य देख रहे हैं। करीब 4500 शिक्षक सुपरवाइजर का कार्य संभाल रहे हैं।
इनको लगाना है बीएलओ- चुनाव आयोग के आदेशानुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव,कार्मिक, लेखपाल, जन सेवक, विद्युत रीडर, डाकिया, एएनएम, स्वास्थ्यकर्मी, संविदा पर नियुक्ति शिक्षक, नगरनिगम कर संग्रहणकर्ता, शहरी क्षेत्र में लिपिक आदि को ही बीएलओ लगाया जा सकता है।
शिक्षकों को बीएलओ पद से हटाया जाए- निर्वाचन आयोग ने भी बीएलओ पद पर शिक्षक नहीं लगाने के आदेश दिए हैं। इसमें स्पष्ट है कि लम्बी अवधि तक शिक्षकों को चुनाव कार्य में नहीं लगाया जा सकता, लेकिन इसकी पालना नहीं हो रही। – बांकाराम सांजटा, प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ
Source: Barmer News