बिलाड़ा (जोधपुर). चुनौतियां भले ही कितनी क्यों ना हो, व्यक्ति अपनी हिम्मत बरकरार रखे तो अपना सारा दुख दर्द और परेशानियों को पार करते हुए नई पहचान बना लेता है। दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाता है।
हंसते-खेलते अमर दास के परिवार की सड़क हादसे में सात लोगों के चले जाने के बाद अमरदास को अपने व्यापार से विरक्ति हो गई और वह जुट गया भूखों को भोजन उपलब्ध करवाने में। जरूरतमंद विद्यार्थियों को स्कूल सामग्री देने में, चिकित्सालय में मरीजों की सेवा, सामूहिक विवाह आयोजनों में घरेलू सामग्री भेंट करने और कई तरह के धर्मार्थ कार्य में जुटा तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तेरह वर्ष हो गए वह समाज सेवा की सच्ची नजीर बन गया है।
सत्रह अगस्त 2007 की वह काली रात जब अमर दास वैष्णव अपनी माता, पत्नी और तीन शादीशुदा पुत्रियों के परिवार के साथ हरिद्वार जा रहा था तो जयपुर के पास हुए सड़क हादसे में अपनी मां, पत्नी और तीनों पुत्रियों को गंवा बैठा। सदमा ऐसा लगा कि व्यापार से विरक्ति हो गई। उदासी से उबरा तो उसने जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन बिताने की ठान ली।
18 अगस्त 2008 को भरत सेवा संस्थान की नींव रख कर प्रतिदिन जरूरतमंद के लिए भोजन, चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के लिए फल, दवाइयां, दूध, नाश्ता और भोजन तैयार कर पहुंचाने का कार्य शुरू किया। उसके इस कार्य में उसके कुछ साथी और जुड़ गए और प्रतिवर्ष नगर पालिका क्षेत्र के 5 स्कूलों के जरूरतमंद बच्चों को स्कूली ड्रेस और पढ़ाई की सामग्री आदि भेंट करने लगा। यह कार्य अनवरत रूप से बारह मास चला। आर्थिक तंगी आई तो समाज के लोग आगे आए और संस्था को मासिक और वार्षिक चंदे के रूप में सहयोग करने लगे।
अमर दास वैष्णव की इस संस्था ने अब कस्बे के निकट एक बड़ा प्लॉट लेकर भवन बना लिया है। जहां प्रतिदिन सुबह शाम जरूरतमंदों के लिए नाश्ता और भोजन तैयार होता है। यहां राहगीर, साधु संत और जरूरतमंद पहुंचकर भोजन ग्रहण करते हैं। सर्दियों में इन लोगों को शॉल, कंबल, ऊनी कपड़े आदि भी दिए जा रहे हैं। इस प्लॉट में बाल हनुमान के मंदिर बनाने की योजना है लेकिन कोरोना काल और आर्थिक वजह से यह कार्य अभी विचाराधीन ही बना हुआ है।
जल्द मिलेगी 80 जी की मान्यता
संस्था अपने आगामी कार्य योजना के तहत बड़े बुजुर्गों के लिए लाइब्रेरी,उनके ठहरने के लिए गेस्ट रूम आदि भी बनाए जाने हैं। संस्था का प्रति वर्ष ऑडिट होने से अब जल्द ही 80 जी की मान्यता भी मिलने वाली है। इसके मिलने के बाद कई बड़े व्यापारियों से भी अनुदान मिलेगा तो संस्था और बड़े स्वरूप में कार्य करेगी।
संस्था के साथ वर्षों से जुड़े हुए कानाराम पटेल, अधिवक्ता गिरधारी लाल कंसारा, शकील अहमद कुरेशी, मांगीलाल, रमेशभाई महेश्वरी, रूपसिंह परिहार और मंगल प्रकाश प्रतिदिन अपनी जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ बताते हैं कि संस्था का कार्य निर्बाध गति से चलता रहेगा। संस्था वार्षिक बैठक में अपना वार्षिक हिसाब किताब भी अपने सहयोगियों के सामने रखती है।
Source: Jodhpur