Posted on

…ला दो इनके चांद,रह गए पाकिस्तान
रतन दवे / भवानीसिंह राठौड़
बाड़मेर पत्रिका.
जैसलमेर के बईया गांव के विक्रमसिंह और उसके भाई नेपालसिंह का चांद पाकिस्तान में रह गया है। पाकिस्तान है कि वीजा नहीं दे रहा और भारत में जिनको वे जानते है वे दिलवा नहीं पा रहे। दूसरी करवा चौथ को भी दोनों भाइयों को मलाल है कि कोई उनकी मदद इतनी शिद्दत से क्यों नहीं करता कि मुद्दत से इंतजार कर रहे उनके चांद का दीदार हिन्दुस्तान की सरजमीं पर करवा दें।
जैसलमेर के बहिया गांव के विक्रमसिंह और नेपालसिंह की शादी पाकिस्तान के अमरकोट में जनवरनी 2019 में हुई। दोनों भाई थार एक्सपे्रस से पाकिस्तान गए और वहां अमरकोट मेे ब्याह कर लिया। वे दुल्हन के साथ भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे कि पुलवामा की घटना और इसके बाद एयरस्ट्राइक हो गई। दोनों घटनाओं के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़ गए। भारत पाक के बीच चलने वाली थार एक्सपे्रस को बंद करने का निर्णय हो गया तो दोनों भाई तो लौट आए लेकिन दुल्हनों का वीजा नहीं मिला। दुल्हन पाकिस्तान में ही रह गई।
वीजा खारिज करता गया पाकिस्तान
पाकिस्तान में दोनों दुल्हनों को भारत लाने का वीजा कागजात जमा करवाए लेकिन पाकिस्तान ने दो बार ही वीजा खारिज कर दिया और इसमें तीन-तीन माह का समय दो बार लगने से छह माह तक यह इंजार झेलना पड़ा। पाकिस्तान ने वीजा खारिज करने का एकमात्र कारण भारत से बिगड़े हुए रिश्ते ही रहा।
कोरोना ने फिर करवा दिया इंतजार
जोधपुर से सांसद गजेन्द्रङ्क्षसह शेखावत बने तो विक्रमसिंह कहते है कि उन्होंने उनके पास जाकर अरजी करी। यहां पर सिफारिश का दौर शुरू हुआ तो कोरोना का काल आ गया और दोनों ही देशों में आवागमन बंद हो गया। ऐसे में एक बार फिर वीजा खारिज होने की पीड़ा सहनी पड़ी और भारत मेे भी छह माह से अधिक का समय लग गया। अब वो सिफारिश भी इनके लिए नाउम्मीदी ही लाई है।
अब फिर भेजे है पाकिस्तान कागजात
बीते दिनों मिलने वाले पाकिस्तान से आए थे। वे वाघा बॉर्डर से आए तो उनको जाते हुए वीजा के दस्तावेज दिए है ताकि पाकिस्तान से वीजा मिलने की कार्यवाही हों लेकिन विक्रम निराशा से बताते है कि वहां से भी कहते है कि दूतावास बंद है। अभी कोरोनाकाल है। वीजा देने में आनाकानी होने लगी है,पता नहीं अब कौन मदद कर पाएगा।
दूसरी करवा चौथ
जहां इन दूल्हों के लिए चांद को भारत लाने की मशक्कत है वहीं वहां पाकिस्तान में दुल्हनें इस बार भी करवा चौथ को अपने चांद का दीदार ससुराल मेे नहीं कर पाएगी। वे पाकिस्तान से ही जरिए मोबाइल अपने चांद की पूजा कर सकेगी। दुल्हनों के भारत नहीं आने का मलाल पूरे परिवार को है।
याद आती है सुषमा स्वराज,उम्मीद मानवेन्द्र से..
विक्रमसिंह कहते है कि पूर्व विदेशमंंत्री रही सुषमा स्वराज ऐसे मामलों में मानवीय संवेदना से जुड़ती थी और वे आगे आकर लोगों की मदद करती थी। बाड़मेर में रेशमा के शव को भारत लाने में उनकी मदद सबकी जुबान पर है। इन मामलों में पूर्व सांसद मानवेन्द्रसिंह बड़े मददगार है। विक्रम कहते है कि मानवेन्द्र से अब उनकी आस है,वे उनसे यह उम्मीद रखेंगे कि मदद करें।
एक मामला यह भी
पाकिस्तान के सिणेई गांव में भारत के गिराब का महेन्द्रसिंह की शादी जून 2019 में हुई। शादी के बाद दुल्हन को वीजा नहीं मिली। अब वीजा मिलने पर ही दुल्हन भारत आ पाएगी। महेन्द्रङ्क्षसह का परिवार भी दुल्हन का इंतजार कर रहा है।

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *