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बाड़मेर. जिले के निजी विद्यालय रियायत दर पर जमीन खरीदने के बजाय खुद के बलबूते अपना भवन बनाने में रुचि रख रहे हैं। स्थिति यह है कि बाड़मेर शहर में60 निजी विद्यालय है जिसमें से एक ने भी रियायत दर पर जमीन नहीं ली है, वहीं जिले में284 निजी विद्यालय है जिसमें से मात्र चार-पांच स्कू  ल ने ही रियायत दर पर जमीन ली है। कोरोनाकाल के चलते २२ मार्च से स्कू  ल, कॉलेज बंद है। इसका सीधा असर निजी विद्यालयों पर पड़ रहा है। पिछले सात माह से फीस बंद है तो ऑनलाइन शिक्षण से भी ज्यादा फायदा नहीं हुआ।

इधर, जिले के निजी विद्यालयों ने सरकारी रियायत का भी फायदा नहीं उठाया है। जिले में 284 निजी विद्यालय है जिसमें से मात्र चार-पांच स्कू  ल संचालकों ने ही रियायत दर पर जमीन ली है। ये विद्यालय भी वे है जो किसी निजी संस्थान की बजाय समाज की कमेटी की ओर से संचालित हो रहे हैं।

शहर के विद्यालयों की नहीं रुचि- बाड़मेर शहर में करीब 60  निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसमें से किसी ने भी रियायत दर पर जमीन नहीं ली है। अधिकांश निजी विद्यालय किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। बावजूद इसके निजी विद्यालय संचालक रियायत दर पर जमीन लेने में रुचि नहीं दिखा रहे।

रियायत दर का मिलता फायदा- जानकारी के अनुसार रियायत दर पर सरकारी जमीन को निजी विद्यालयों को आवंटित किया जाता है। इसकी दर बाजार से कम होने से निजी विद्यालयों को आधी दर तक जमीन मिल सकती है। बावजूद इसके जिले के निजी विद्यालय संचालक रियायत दर पर जमीन खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

कम ही विद्यालय संचालकों ने दिखाई रुचि- जिले के अधिकांश निजी विद्यालयों ने रियायत दर पर जमीन को लेकर रुचि नहीं दिखाई है। बहुत कम स्कू  ल है जिन्होंने सरकारी जमीन को रियायत दर पर लिया है। जिले में बमुश्किल चार-पांच स्कू  ल होंगे जिन्होंने रियायत दर पर जमीन आवंटित करवाई है।- जैतमालङ्क्षसह राठौड़, एडीओ माध्यमिक शिक्षा बाड़मेर

Source: Barmer News

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