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बिलाड़ा (जोधपुर). शादी-ब्याह, आणा, मुकलावा एवं मायरे जैसे आयोजन को लेकर प्रशासन द्वारा जारी की गई कोरोना गाइडलाइन ने उन सभी परिवारों की मुश्किलें बढ़ा कर रख दी है जिनके यहां कुछ दिनों बाद यह आयोजन होने वाले हैं।

इन परिवारों ने पहले से ही बैंड -बाजे, घोड़ी, धर्मशाला, मैरिज गार्डन, हलवाई, टेंट और कैटरर्स बुक कर अग्रिम राशि भी दे दी है। इतना ही नहीं परिचितों एवं रिश्तेदारों को शादी की पत्रिकाएं भी बांट दी है। ऐसे में अब यह लोग कैसे उन सभी लोगों को मना करें कि शादी में मत आना।

कोरोना संक्रमण के बीच जारी की गई नई गाइडलाइन ने अब इन परिवारों को मुश्किल में डाल दिया है कि वह क्या करें और क्या नहीं। सबसे ज्यादा परेशानी मैरिज गार्डन बुक करने वालों को हुई है क्योंकि गार्डन वाले किराया कम करने को तैयार नहीं है और यदि कोई गार्डन में काम नहीं करना चाहता है तो उसे अग्रिम राशि भी लौटाने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में एक से दो लाख रुपए तक गार्डन मालिकों को अग्रिम देखकर अब यह परिवार मुसीबत में फंस गए हैं।

10 माह से डाल रहे थे शादी
रमेश कुमावत, चंदू सीरवी, शिवनारायण जाट, बाबूलाल सोनगरा जैसे कई दूल्हा परिवार के लोग बताते हैं कि मार्च में कोरोना के चलते लगे लोक डाउन की वजह से भी परिवार में होने वाले शादी समारोह को टालने से उस समय भी काफी नुकसान उठाना पड़ा था और अब जब नई तारीख और मुहूर्त निकाला तो फिर कोरोना काल उनका बेरी बन गया। अब फिर प्रशासन ने आखिरी समय पर फिर से नई गाइडलाइन जारी कर परेशानी में डाल दिया है। बच्चों की शादी अब तक नहीं हुई लेकिन दूसरी बार नुकसान होता नजर आ रहा है।

शासन प्रशासन से की सहयोग की मांग

मांगलिक आयोजन करने वाले कई परिवार के गणमान्य लोगों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि 1 महीने पूर्व से जिन- जिन परिवार वालों ने शादी की पूरी तैयारियां कर ली, कम से कम उन्हें तो शादी समारोह के आयोजन की पूरी छूट दी जाए। कोशिश करेंगे कि कम भीड़ एकत्रित हो और कोरोना काल के चलते आने वाले हर एक मेहमान को सैनेटाइज करने के साथ ही मास्क लगाने व सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन वे करवाएंगे।

अबूझ मुहूर्त में ज्यादा शादियां

लॉकडाउन के चलते जो शादियां नहीं हो सकी वह अब होने जा रही है। इस बार 5 माह में केवल 5 मुहूर्त होने से देवउठनी ग्यारस के अबूझ मुहूर्त का लाभ लोग ले रहे हैं। ग्यारस के दिन से शादियों की शुरुआत होती है। इस दिन बिना मुहूर्त के शादी हो जाती है, ऐसे में इस बार की एकादशी पर विवाह आयोजन ज्यादा होंगे।

कोरोना के चलते होने वाली शादियों के आयोजनों को लेकर प्रशासन के माथे चिंता की लकीर है। दिवाली के बाद से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी और उसके पहले ही विवाह पत्रिकाएं बांटने से भीड़ को नियंत्रित करना भी एक चुनौती है। कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाना भी अब एक चुनौती है।

Source: Jodhpur

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