जानिए सलमानखान कैसे बने बॉर्डर क्षेत्र के प्रधान?
बाड़मेर.
सीमावर्ती गडरारोड़ पंचायत समिति का प्रधान सलमानखान को चुना गया है। सलमान को यह सीट विरासत में मिली है। उनके दादा अमीनखां शिव के विधायक है। साठ साल से राजनीति कर रहे अमीनखां ने अपने पोते को अब राजनीति में उतारा और उन्होंने यहां पहले उन्हें पंचायत में जीताया और इसके बाद उनके राजनीतिक दबदबे के चलते प्रधान की सीट दी गई। 25 साल के सलमान एलएलबी की पढ़ाई कर रहे है।
शिव इलाके में राजनीति में करीब साठ साल पहले आए अमीनखां कांग्रेस के उन नेताओं में से है जिनका टिकट कांग्रेस ने कभी नहीं काटा। अमीन एक बार विधायक का चुनाव जीतते है और एक बार हारते रहे है। उनकी जीत हार के इस गणित के बावजूद भी कांग्रेस ने विकल्प नहीं तलाशा। मौजूदा विधायक अमीनखां है और उनकी उम्र अब 80 साल के पार पहुंच रही है।
बेटे को क्यों नहीं दिया अवसर
अमीन खां का बेटा शेर मोहम्मद शिक्षक है। अमीनखां ने अपने बेटे को सरकारी नौकरी में ही रखा और वो राजनीति में सीधे तौर पर कभी सामने नहीं आए। बेटे ने भी राजनीति को तवज्जो नहीं दी।
पोते के लिए दौडऩा शुरू
अमीनखां की राजनीतिक विरासत के लिए अब उन्होंने अपने पोते सलमानखान को चुना है। पोत को एलएलबी की पढ़ाई के दौरान ही अमीनखां ने गडरारोड़ पंचायत समिति से चुनाव लड़वाया और यह तय हो गया था किउसके जीतते ही प्रधानी दी जाएगी। चुनाव जीता और सलमान खान प्रधान बन गया है।
राजनीति में वंशवाद पहले भी
बाड़मेर की राजनीति में वंशवाद पहले से है। चौहटन के पूर्व विधायक अब्दुल हादी के पुत्र गफूर अहमद और पुत्रवधू शम्मा बानो राजनीति में है। शम्मा धनाऊ से प्रधान बनी है, गफूर जिला परिषद सदस्य चुने गए है। इसी तरह पूर्व विधायक तगाराम चौधरी के पुत्र व पुत्रवधू को टिकट मिला था लेकिन वो हार गए।
Source: Barmer News