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जोधपुर. कोरोना काल में जहां एक ओर आम लोगों के जीवन में एक के बाद एक कई मुसीबतें आई वही कुछ लोगों के जीवन में सुखद बहार आई। हुआ यह कि कोरोना काल के दौरान जब लोगों के पास कामकाज नहीं थे, लोक डाउन चल रहा था, उन्हें अपनों की याद सताने लगी, इस दौरान उन लोगों ने भी आपस में बात करनी शुरू कर दी। जिनके तलाक के मामले फैमिली कोर्ट में चल रहे थे। पति-पत्नी आपसी मनमुटाव को दरकिनार करते हुए मोबाइल और सोशल मीडिया से एक दूसरे से बात करने लगे। इसी के चलते शनिवार को कई दंपत्तियों ने गिले-शिकवे भुलाकर फिर से एक हो गए। मौका था पारिवारिक न्यायालय में चल रही लोक अदालत का। पारिवारिक न्यायालय संख्या एक के न्यायाधीश महेंद्रकुमार सिंघल की समझाइश से आधा दर्जन से अधिक टुटे रिश्ते फिर से एक हो गए।

बच्ची के डीएनए टेस्ट तक बात पँहुची
रातानाडा़ क्षेत्र में रहने वाले 22 वर्षीय मुकेश (परिवर्तित नाम) और 20 वर्षीय सोनम (परिवर्तित नाम) की शादी हिंदू रिति रिवाज से 25 नवम्बर 2013 में हुई। शादी के कुछ दिनों के बाद ही पारिवारिक काम को लेकर पति पत्नी के बीच मनमुटाव शुरू हो गया। चार महीने बाद पत्नी पीहर चली गई। इस दौरान एक लड़की का जन्म हुआ, फिर भी बात नहीं बनी। पत्नी की ओर से महिला थाने में मुक़दमा दर्ज करवा दिया उधर पति ने पत्नी पर चारित्रिक दोष लगाते हुए फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी लगा दी। आरोप-प्रत्यारोप का लम्बा दौर चला, पति ने संतान की वैधता को चुनौती देते हुए डीएनए टेस्ट की मांग तक कर दी। कई पेशियों में एक दूसरे के आमने-सामने आए लेकिन बात नहीं बनी। पिछले 6 महीनों में कोरोना कालखंड के दौरान पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे की कमी महसूस हुई, दोनों के बीच में मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से बातचीत होती रही। शनिवार को लोक अदालत के बीच पारिवारिक न्यायालय संख्या एक के न्यायाधीश महेंद्रकुमार सिंघल, पति के अधिवक्ता विशाल सारस्वत, पत्नी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आरएस वाघेला की समझाइश से दोनों फिर एक हो गए। कोर्ट रूम में ही एक दूसरे को माला पहनाई और मुस्कुराकर बाहर आए और घर चले गए।

Source: Jodhpur

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