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जोधपुर. दो साल पहले जब सरकार बनी और पहला बजट पेश किया तो शहर की यातायात समस्या की प्रमुख मांग यानि एलिवेटेड रोड की डीपीआर की घोषणा की। इसके टै्रफिक और जीयो सर्वे भी हुआ। लेकिन हाल ही में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के दौरे पर इस एलिवेटेड सपने को निरस्त कर दिया। इसके स्थान पर राज्य सरकार ने दो विकल्प रखे। लेकिन अब केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने बुधवार को केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर ११५० करोड़ की इस एलिवेटेड रोड को मूर्तरूप देने का भरोसा ले लिया है। एेसे में एक बार फिर से यह उम्मीद जिंदा हो गई।

प्रदेश ने नकारा
प्रदेश सरकार ने पहले खुद ही डीपीआर का सपना दिखाया फिर हेरिटेज संरक्षण के नाम पर इसे नकार दिया। इसके बदले में पावटा सर्किल से सर्किट हाउस और भाटी चौराहा होते हुए ट्रैफिक मॉबिलिटी प्लान बनाया। साथ ही जालोरी गेट से चांद शाह तकिया और स्टेडियम सिनेमा होते हुए पावटा तक वैकल्पिक सडक़ का विकल्प दिया। मंत्री धारीवाल के निर्देश पर यूडीएच विभाग और जेडीए अधिकारियों ने इस विकल्प पर काम करना भी शुरू कर दिया।

अब केन्द्र की पहल
प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को धरातल पर लाने के प्रयास में नई दिल्ली में केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से सांसद शेखावत ने मुलाकात की। शेखावत ने जोधपुर की हार्टलाइन पर पड़ रहे यातायात के दबाव को कम करने के लिए बहुप्रतीक्षित एलिवेटेड रोड के निर्माण को स्वीकृति प्रदान करने का लिखित निवेदन किया। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने मुलाकात के दौरान संबंधित अधिकारियों को बुलाया और एलिवेटेड रोड को लेकर चर्चा की। गडकरी ने एलिवेटेड रोड को शीघ्र मूर्तरूप देने का भरोसा दिलाया है। शहर से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमश: एनएच-62 (नागौर-जोधपुर-पाली), एनएच-25 (बाडमेर-जोधपुर-बर) और एनएच-125 (जैसलमेर-पोकरण-जोधपुर) गुजरते हैं। तीनों राष्ट्रीय राजमार्गों के शहर के बीच से गुजरने के कारण जोधपुर की हार्टलाइन (मण्डोर-पावटा-सोजती गेट-आखलिया चैराहा) पर यातायात का दबाव बना रहता है। पचपदरा रिफाइनरी के बाद जोधपुर शहर के आसपास होने वाले औद्योगिक विस्तार को देखते हुए यातायात बढऩे की संभावना है।

कागजों से आगे बढ़े शहरी विकास तो बने बात
सारण नगर से बनाड़ तक 100 फीट सडक़ की घोषणा की गई। इसकी भी डीपीआर बनी। अब तक कागजों से बाहर आने का इंतजार। जोजरी नदी के किनारे तीन नए एसटीपी प्रस्तावित किए, लेकिन यह प्रोजेक्ट कागजों से बाहर नहीं आया। जयपुर और जोधपुर में मूल निवास, विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और पेंशन पीपीओ सहित अन्य सुविधाओं को डोर स्टेप डिलीवरी की घोषणा की गई थी। लेकिन यह भी सिरे नहीं चढ़ पाई।

ग्रीन एनर्जी सिटी का सपना भी अधूरा
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दोनों बजट में ग्रीन एनर्जी यानि सोलर और विंड को काफी महत्व दिया। पत्रिका के मुद्दा उठाने के बाद पांच साल बाद इन दोनों पर नीति भी बनी। सीएम ने खुद हर शहर में सोलर रूफ टॉप को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन एनर्जी सिटी की परिकल्पना दी थी। लेकिन यह प्रोत्साहन भी कागजों से बाहर नहीं आया।

Source: Jodhpur

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