जोधपुर. प्रदेश में दुग्ध उत्पादक देशी गायों की नस्ल में वृद्धि करने के लिए गिर, साहीवाल, थारपारकर और राठी की निम्न उत्पादकता वाले गौ वंश को सेरोगेट मदर बनाकर उनकी संख्या में वृद्धि की जाएगी। अब तक एक गाय एक वर्ष में एक संतति उत्पन्न करती थी। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से ८ से १० संतति विकसित की जाएगी। इससे प्रदेश में देशी गाय के दूध में वृद्धि के साथ कुपोषण से निपटने में भी सफलता मिलेगी।
बीकानेर स्थित राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने एक एमआेयू करके इसके लिए रोड मैप तैयार किया है। इसके तहत विवि के पशु अनुसंधान केन्द्रों पर देशी गायों में भ्रूण प्रत्योपण तकनीक से बछड़े-बछडिय़ां पैदा किए जाएंगे। कम उत्पादकता वाले पशु में भ्रूण प्रत्यारोपण करके उच्च उत्पादकता वाली संतति प्राप्त कर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाया जाएगा। इससे पशु नस्ल में भी सुधार होगा।
21 भ्रूण प्राप्त, 6 प्रत्यारोपित किए
विवि के पशुधन अनुसंधान केन्द्र, बीछवाल और जयपुर स्थित स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में गिर नस्ल की ४ गायों को उच्च गुणवत्ता के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान कर 21 भ्रूण प्राप्त किए गए हैं। इसमें 6 भ्रूण प्रत्यारोपित किए गए। शेष 15 भ्रूण को भविष्य में उपयोग करने के लिए तरल नत्रजन में संरक्षित किया गया है।
गायें ऐसे बनेगी सेरोगेट मदर
उच्च गुणवत्ता वाली गाय (डोनर गाय) में सुपर ओव्यूलेशन यानी बहुअंडोत्सर्ग करवाकर उच्च गुणवत्ता वाले सांड के वीर्य से निषेचित किया जाएगा। सातवें दिन गाय के गर्भ से भ्रूण को उचित माध्यम से फ्लश करके निम्न गुणवत्ता वाली साधारण गाय (ग्राही गाय) के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करेंगे। भ्रूण प्रत्यारोपण के लिए ऐसी गायें चुनी जाएगी जिनकी प्रति ब्यांत दुग्ध उत्पादकता कम होती है। साधारण नस्ल की गाय का केवल गर्भाशय उपयोग में आएगा, जबकि उनसे होने वाली संतति अधिक दूध देनी वाली पैदा होगी।
‘भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के माध्यम से हम चारों देशी गौवंश की उन्नत नस्ल विकसित करने के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि कर पाएंगे।’
– प्रो. विष्णु शर्मा, कुलपति, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर
Source: Jodhpur