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-बाड़मेर. जिले में बढ़ती सर्दी के बीच पशुधन का विशेष ख्यालय रखा जाए। आहार में ऊर्जा की मात्रा बढ़ाने के साथ ही पशुधन को बंद बाड़े में रखें। यह बात कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप पगारिया ने कही। उन्होंने बताया कि आजकल ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है

। ठंड पशुओं के लिए जानलेवा हो सकती है। गोवंश की अपेक्षा भैंस, बकरियां और सभी पशुओं के नवजात बच्चे ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। लिहाजा इनका खास खयाल जरूरी है। बचाव के लिए परंपरागत तरीकों के अलावा आहार में ऊर्जा की मात्रा बढ़ाना जरूरी है।पशुओं को ठंड लगने के लक्षणहाइपोथर्मियां के शिकार पशु के कान ,नाक व अन्य अंग बर्फ जैसे ठण्डे हो जाते हैं।

उनके सांस व हृदय की गति कम होती जाती है। पशु सुस्त पडऩे के साथ बाल खड़े हो जाते और शरीर सिकुड़ जाता है। पशु खाना बंद कर देता है तथा नाक से पानी गिरता है। बचाव के उपायपशु को बंद स्थान या बंद बाड़े में रखें। ठंडी हवा से बचाव के लिए दरवाजों को फूस या बोरे से ढक दें। जमीन पर पुआल या पत्तियां बिछाएं और इनको बदलते रहें।

पशु गृह की सफाई रखें। हफ्ते में एक बार बाड़े को फिनाइल से और पशुओं के बर्तन को पोटैशियम परमैगनेट से धोएं। आहार में ऊर्जा की मात्रा बढ़ाएं। गुड़ व तेल की अतिरिक्त मात्रा, जीरा-अजवायन, बाजरे की दलिया इसके बेहतर विकल्प है।

पगारिया ने बताया कि चावल का चोकर, मूंग ,उर्द या चना की चूनी का बना पशु आहार, खनिज लवण व साधारण नमक को बराबर अनुपात में मिलाकर दें।

बेहतर हो कि इस मौसम में पशु को गुन-गुना एवं ताजा पानी पिलाएं। हरे चारे में पानी की मात्रा 80-90 फीसदी होती है इसलिए इसे जरूरत से अधिक न दें।

छोटे पशुओं को खीस जरूर पिलाएं।

डायरिया और चर्म रोग से बचने के लिए कीड़ा मारने की दवा भी पिलाएं। पगारिया ने बताया कि पशुधन के बीमारी के लक्षण मिलने पर पशुविशेषज्ञों की सलाह जरूर लें और समय-समय पर पशुओं की विशेषज्ञों से जांच करवाएं।

Source: Barmer News

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