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जोधपुर. प्रदेश का सबसे पुराना एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज विश्वविद्यालय बनेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। संभवत अगले शैक्षणिक सत्र 2021-22 से एमबीएम में स्वयं के रूल्स एंड रेगुलेशन लागू होंगे।
वर्तमान में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय के तौर पर सम्बद्ध है। इसकी स्थापना आईआईटी खडक़पुर के समय हुई थी। पचपदरा में रिफाइनरी को देखते हुए फरवरी 2020 में राज्य सरकार ने बजट में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को अलग से विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। शुरुआती तौर पर सरकार ने इसके लिए 20 करोड़ रुपए का बजट भी घोषित किया, जिसके चलते इस साल एमबीएम कॉलेज में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग ने एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को जेएनवीयू से अलग करने की मंजूरी दे दी है।

एमबीएम से जेएनवीयू की पहचान
देश का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज होने के कारण एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से पढकऱ कई छात्र-छात्राएं देश विदेश में उच्च पदों पर आसीन है। यही कारण है कि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की देश भर में पहचान है। एमबीएम कॉलेज के हाथ से सरक जाने के बाद विवि के पास इंजीनियरिंग संकाय भी नहीं बचेगा। गौरतलब है कि 2 साल पहले एआईसीटीई के कॉलेज के निरीक्षण के दौरान शैक्षणिक खामियां पाए जाने के कारण कॉलेज में जीरो सेशन घोषित कर दिया गया था जिसके बाद कॉलेज के ही पूर्व छात्रों के सहयोग से इसे फिर से इसकी प्रतिष्ठा लौटाई गई। वर्तमान में एमबीएम कॉलेज में शिक्षकों की कमी के अलावा प्रयोगशाला में अत्याधुनिक उपकरण सहित अन्य सुविधाओं की कमी है।

Source: Jodhpur

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