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जोधपुर. आर्मी की कोणार्क कोर के अधीन 10 पैरा यूनिट आती है, जिसे स्पेशल फोर्स कहा जाता है। इसमें हर दृष्टि से चुस्त-दुरुस्त जवान को भर्ती किया जाता है। कमांडो बनाने से पहले 3 महीने का प्रोबेशन पीरियड होता है। अगर इन तीन महीनों के दौरान जवान फिटनेस खो देता है तो उसे चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाता है।
आर्मी की 10 पैरा में सेना के सभी कार्य की ट्रेनिंग कमांडो को मिलती है। कमांडो का उपयोग केवल स्पेशल ऑपरेशन के दौरान किया जाता है। ऑपरेशन नहीं होने पर वे दिन भर ट्रेनिंग करते रहते हैं। इनकी शुरुआत सुबह 10 से 12 किलोमीटर की दौड़ से होती है। इसके बाद प्रशिक्षण से संबंधित लगातार कक्षाएं चलती है। शाम को भी प्रशिक्षण होता है। कमांडो को ड्राइविंग, स्वीमिंग, पैरा ड्रॉपिंग, सिग्नल क्वालीफाइंग जैसे प्रशिक्षण दिए जाते हैं। इनको हवा, पानी और सतह तीनों स्थानों से लडऩे और दुश्मन को शिकार बनाना सिखाया जाता है। रुद्र व एमआई-8 हेलीकॉप्टर और आईएल-76 व एएन-32 विमान के जरिए पैरा जंपिंग सिखाई जाती है। कमांडो किसी भी तरह की गाड़ी चलाने में दक्ष होते हैं। कुछ कमांडो को सभी तरह के सिग्नल पकडऩे की ट्रेनिंग दी जाती है। इनके पास विशेष हथियार होते हैं जिनसे त्वरित कार्यवाही हो जाती है। किसी भी स्थल पर ऑपरेशन के लिए यह चंद मिनटों में पहुंच सकते हैं।

कमांडो को एक ही स्थान पर टिके रहकर भूख और प्यास से लडऩा सिखाया जाता है। यही कारण है कि कश्मीर में ऑपरेशन के दौरान फायरिंग की घटनाओं में ये आतंकवादियों को थकाकर मार देते हैं।

Source: Jodhpur

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