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जोधपुर. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) के अंतर्गत सरकार द्वारा जरूरतमंद व्यक्तियों को दिए जा रहे गेहूं के अब हर दाने पर सरकार की नजर रहेगी। इसके लिए गार्ड (ग्रेन्स अकाउंटिंग रिसिप्ट डिपाजिट सिस्टम) सिस्टम बनाया जा रहा है जो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से गेहूं के उठाव से लेकर राशन की दुकान पर उपभोक्ताओं के वितरण तक नजर रखेगा।

खाद्यान्न की आपूर्ति एवं वितरण प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए राशन की सभी दुकानों और एफसीआई के सभी डिपो की जियो टैगिंग करवाई जाएगी। एफसीआई के गोदामों से खाद्यान्न उठाव में उपयोग में आ रहे सभी वाहनों पर जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगाया जाएगा, जिससे सप्लाई चैन मैनेजमेंट के तहत आपूर्ति किए जा रहे गेहूं का राशन की दुकान तक त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। राशन की दुकान से एनएफएसए के लाभार्थियों को गेहूं का वितरण वैसे भी पोस मशीन के जरिए ऑनलाइन किया जाता है। गार्ड सिस्टम के बाद पीडीएस के गेहूं की संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी।

राशन की दुकान पर अब केवल गेहूं
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से वर्तमान में राशन की दुकानों के जरिए केवल गेहूं का एनएफएसए उपभोक्ताओं को वितरण किया जाता है। केरोसिन प्रदेश के केवल दो-तीन जिलों में सिमटकर रह गया है और चीनी पहले से ही बंद है।

एक रुपए और दो रुपए प्रति किलो
गेहूं आवंटन दो श्रेणियों में किया जा रहा है। अंत्योदय अन्न योजना, बीपीएल और स्टेट बीपीएल के लाभार्थियों को 1 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्रति व्यक्ति प्रति महीना 5 किलो गेहूं मिलता है वहीं अन्य श्रेणी में दो रुपए प्रति किलो गेहूं दिया जा रहा है।

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2.32 लाख मैट्रिक टन गेहूं हर महीने वितरित
– 33 जिलों में हर महीने 2.32 लाख मैट्रिक टन गेहूं का वितरण
– 15,759 मैट्रिक टन सर्वाधिक गेहूं वितरण जयपुर में
– 10,970 मैट्रिक टन गेहूं वितरण दूसरे बड़े शहर जोधपुर में
– 12,711 मैट्रिक टन गेहूं का वितरण अलवर में (जयपुर के बाद सर्वाधिक)
– 2224 मैट्रिक टन सबसे कम वितरण जैसलमेर में

Source: Jodhpur

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