बाड़मेर. थार में मौसम परिवर्तन ने किसानों की चिंता को बढ़ाया है। एक तरफ जहां गेहूं, जीरा, ईसबगोल को फायदा होने की उम्मीद है तो मौसमी बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। दूसरी ओर अरण्डी, सब्जियों व फूलों के पौधों के लिए यह मौसम प्रतिकू ल साबित हो रहा है। किसान एेसे में मौसम में फसलों को कैसे बचाए और कौनसा रोग लगने पर क्या उपाय करे इसकी चिंता रहती है। एेसे में राजस्थान पत्रिका ने रबी की फसलों को लेकर विशेषज्ञों की सलाह ली है।
जीरा- बाड़मेर में जीरे की फसल २ लाख १५ हजार हैक्टेयर में बोई हुई है। इससे करीब ११ अरब की कमाई होने की उम्मीद है। वर्तमान में पाला, धुंध फसलों के लिए अनुकू ल माना जा रहा है, क्योंकि इससे जीरे की बढ़ातेरी होगी। हालांकि एेसे में मौसम में चेपा, उखटा और झूलसा रोग होने की आशंका रहती है।
चेपा रोग के लक्षण व बचाव के उपाय- चेपा या एफिड रोग में फूल आने पर कीट रस चूस कर उसको नुकसान पहुंचाता है। इस पर नियंत्रण के लिए इमिडा क्लोरोपिड १७.८ एसएल की मात्रा २०० मिलीमीटर के अनुपात में देनी चाहिए। उखटा रोग- इसमें पौधे मुरझा जाते हैं। एेसे में पौधों पर बीज नहीं लग पाते। इस रोग के लक्षण पाए जाने पर किसान मैंकोजेब ०. २ ग्राम प्रति लीटर की दर से छिडक़ाव करें।
झुलसा या छाछिया रोग- जीरे में झुलसा या छाछिया रोग फूल आने पर बादल छाने पर होता है। इसमें भी मैंकोजेब ०.२ ग्राम का छिडक़ाव करने की सलाह दी जाती है।
ईसबगोल- ईसबगोल की फसल जिले में लगभग एक लाख हैक्टेयर में बोई हुई है। वर्तमान मौसम अनुकू ल है, लेकिन बारिश होने पर इसको सर्वाधिक नुकसान होता है।
अंगमारी या तुलासिका रोग- ईसबगोल में अंगमारी या तुलासिका रोग लगते है जिससे पौधे मुरझा जाते हैं। एेसे में उपज पर प्रभाव पड़ता है। अंगमारी रोग के लक्षण पाए जाने पर किसान मैंकोजेब ०.२ प्रतिशत पानी में मिला कर फसल पर छिडक़ाव करे।
रायड़ा- रायड़ा या सरसों की फसल जिले में करीब १५ हजार हैक्टेयर में बोई हुई है। वर्तमान मौसम फसल के अनुकू ल है। एेसे में इसमें रोग के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। अभी दाने बनने की अवस्था होने से सर्दी से उपज बढऩे की संभावना रहेगी।
गेहूं- जिले में रबी की फसलों के तहत गेहूं की बुवाई लगभग १७ हजार हैक्टेयर में है। वर्तमान में गेहूं में बालियां लग रही है। मौसम अनुकू ल चल रहा है। इसमें स्मट रोग लगने की संभावना रहती है। इस रोग के लक्षण पाए जाने पर प्रोपिकोनेजोल दो मिलीलीटर पर लीटर के अनुसार छिडक़ाव करें।
चना- चने की फसल लगभग तीन हजार हैक्टेयर में है। इसमें अभी फली लग रही है। फली में छेद होने से कम उपज की संभावना रहेगी। किसान चने की फसल को रोगों से बचाने के लिए स्पिनो सेड का उपयोग कर सकते हैं।
अनार- अनार उत्पादन में जिला दिनोंदिन प्रगति कर रहा है। वर्तमान में करीब सात हजार हैक्टेयर में अनार के बगीचे है। इसमें से छह हजार हैक्टेयर में अनार के फल लग रहे हैं। अनार में मौसम को लेकर कोई समस्या नजर नहीं आ रही।
सब्जियां- सर्दी का मौसम सब्जियों के प्रतिकू ल माना जा रहा है। इस मौसम में सब्जियों के पत्ते खराब हो रहे हैं तो उपज भी कम होने लगी है। ज्यादा सर्दी के चलते सब्जियां मुरझा रही है। वहीं विभिन्न रोग लगने की संभावना रहती है। रोग से बचाव के उपाय- सब्जियों को किसान भरपूर पानी दे जिससे कि पाले का असर कम हो जाए। वहीं डाइथोमोरेट दो मिली प्रति लीटर पानी में छिडक़ाव करें
। विशेषज्ञों की सलाह पर करें छिडक़ाव- वैसे तो मौसम फसलों के अनुकू ल है, लेकिन फिर भी रोगों के लक्षण दिखाई देने पर किसान विशेषज्ञों की सलाह पर कीटनाशक या दवाइयों का छिडक़ाव करें।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक एवं प्रभारी केवीके गुड़ामालानी
Source: Barmer News