जोधपुर. वन्यजीवों को प्रदूषण मुक्त वातावरण और वन्यजीव पर्यटन क्षेत्र में जोधपुर को खास स्थान दिलाने के लिए वर्ष 2016 में आरंभ हुए मारवाड़ के प्रथम जैविक उद्यान माचिया पार्क 20 जनवरी को पांच वर्ष पूरे कर रहा है। पिछले पांच साल में माचिया जैविक उद्यान देखने के लिए 15 लाख 39 हजार 649 देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचे जिनसे राज्य सरकार को पांच करोड़ 12 लाख 5 हजार 729 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसमें कैफेटेरिया से 28 लाख 10 हजार 598, गोल्फ कार्ट से 13 लाख 92 हजार 311 और पार्किंग से 34 लाख 62 हजार 465 से तथा कैमरों आदि से प्राप्त राजस्व भी शामिल है। माचिया जैविक उद्यान से राज्य सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो रहा लेकिन यहां आने वाले दर्शकों और पिंजरों में रहने वाले वन्यजीवों को पांच साल बाद भी जरूरी सुविधाओं से महरूम रहना पड़ रहा है। हर साल लगातार राजस्व बढऩे के बावजूद भी जोधपुर के आम दर्शकों व पर्यटकों के लिए उद्यान तक पहुंचने के लिए परिवहन की सुविधाएं तक मुहैया नहीं हो पाई है। जिन दर्शकों की ओर से वन्यजीवों के देखने से सरकार को आय होती है उन वन्यजीवों की नियमित स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, बीमारी रोकथाम के लिए अभी तक स्थाई चिकित्सक व सहायक चिकित्सक स्टाफ तक नहीं है। जंतुआलय के वन्यजीव की मौत के बाद दाह संस्कार शव निस्तारण के लिए कारकस प्लांट तक नहीं लग पाया है। गहलोत ने रखी थी नींव, उद्घाटन वसुंधरा ने किया माचिया जैविक उद्यान का शिलान्यास वर्ष 2011 में तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था लेकिन उदघाटन 20 जनवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया। स्टाफ का टोटा माचिया जैविक उद्यान के लिए स्वीकृत पद 105 है लेकिन कार्यरत 71 ही है। सहायक वन संरक्षक के दो पदों में एक रिक्त पड़ा है। पशु चिकित्सा अधिकारी तक स्थाई नहीं है। वन रक्षकों के 11 पद रिक्त है। माचिया जैविक उद्यान के करीब आठ हजार पेड़- पौधों का अस्तित्व भी खत्म होता जा रहा है। प्रकृति निर्वचन केन्द्र में नहीं सजा दुर्लभ संसार माचिया उद्यान में देशी विदेशी दर्शकों को वन और वन्यजीवों के दुर्लभ संसार से रूबरू करवाने के लिए बनाए गए प्रकृति निर्वचन केन्द्र (नेचर इन्टरप्रीटिशन सेन्टर) में अभी तक पूरी सुविधाएं दर्शकों को नहीं मिल रही है। इस केन्द्र में पूरे विश्व के वनों और वन्यजीवों की पारिस्थितिकी, राजस्थान के थार मरुस्थल इलाकों में पाए जाने वाले वन्यजीव, मरु वनों का महत्व और वन तथा पर्यावरण से जुड़ी सामग्री को प्रदर्शित करना था लेकिन दर्शक वन्यजीवों के दुर्लभ संसार से वंचित है। पांच साल बाद भी नहीं बसा पक्षियों का संसार करीब 11 करोड़ के माचिया परियोजना फेज-2 परियोजना को लंबे अर्से से मंजूरी नहीं मिलने से माचिया जैविक उद्यान में पक्षियों को अस्थाई पिंजरों में रखा जा रहा है। सीजेडए के मापदंड व निर्देशानुसार पक्षी कक्ष नहीं होने से पेलिकन्स, ऐमू, राजहंस, पहाड़ी तोते, तीतर, कुरजां, कॉमन कूट लव बड्र्स सहित कई पक्षियों की मौत तक हो चुकी है। प्राइमेट सेक्शन भी नहीं बन पाया है। बॉयोलॉजिस्ट का भी अभाव है। जू एडवायजरी बोर्ड की बैठक तक नहीं माचिया जैविक उद्यान का सफल संचालन के लिए गठित जू एडवायजरी बोर्ड की बैठक अभी तक कागजी ही साबित हुई है। इस बोर्ड में अध्यक्ष आरएसआरडीसी,उपायुक्त नगर निगम जोधपुर, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी और क्षेत्रीय वन अधिकारी आदि होते है जो वन्यजीवों की सार संभाल आदि पर अपने सुझाव देते है।
माचिया बॉयोलोजिकल पार्क में विजिटर्स का विवरण
वर्ष—— दर्शक—– आय
2016—-124568—-14931087
2017—-324900—-10807146
2018—-336958—–11178610
2019—-362447—–12738783
2020—-320449—-10620914
यह भी है समस्याएं
-मनोरंजन की सुविधाएं नहीं
-पिंजरों में घास और गढ्ढे
-सर्विस रोड का निर्माण तक नहीं
-वन्यजीवों के पिंजरों के बाहर व अंदर बारिश से बही मिट्टी के कारण गढ्ढे-
-रेस्क्यू सेंटर में पर्याप्त मेडिकल स्टाफ ही नहीं
-केयर टेकर और केज क्लीनर के पद रिक्त
-स्टाफ को संक्रमण से बचाव के लिए उपकरण और सामग्री नहीं-
-प्रकृति निर्वचन केन्द्र में चित्र धुंधले
जिला प्रशासन की ओर से परिवहन व्यवस्था नहीं
कैम्पा फंड से मांगे है 11.5 करोड़
माचिया विकास, बर्ड व प्राइमेट सेक्शन के लिए 11.50 करोड़ कैम्पा फंड से मांगे गए है। माचिया जैविक उद्यान पार्ट-2 विस्तार और रिक्तपदों की भर्ती के लिए वन मुख्यालय और राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
केके व्यास, सहायक वन संरक्षक माचिया जैविक उद्यान
Source: Jodhpur