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जोधपुर. कोरोनाकाल में मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस बार 1 फरवरी को संसद में मोदी सरकार में महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए जाने वाले बजट में आधी आबादी को कम से कम रसोई घरों की अति आवश्यक चीजों में राहत मिलने की उम्मीद है। आम बजट और राज्य बजट में जोधपुर की महिलाओं के साथ इस विषय पर आयोजित वेबिनार में अपेक्षाएं और सुझाव पत्रिका के साथ साझा किए। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, रसोई में प्रयुक्त की जाने वाली सभी तरह की वस्तुओं में राहत की उम्मीद की है। महिलाओं का कहना था बजट चाहे केन्द्र का हो या राज्य का हो महिलाओं की समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए।

केन्द्र बजट से उम्मीदें

घरेलु गैस के भाव कम और स्थिर हो

कामकाजी महिलाओं को मिले आयकर में छूट

स्वास्थ्य, शिक्षा व सुरक्षा की सुविधाओं में हो बढ़ोतरी

राज्य बजट से उम्मीदें

पेट्रोल डीजल के भाव कम हो

बिजली की दरों में हो कमी

महिला उद्यमियों को मिले नए अवसर

घरों के मासिक बजट गड़बड़ा देगा पेट्रोल-डीजल –

आवागमन के साधन-व्यापार सभी पेट्रोल-डीजल पर टिके है। पेट्रोल व डीजल के लगातार बढ़ते भाव में इतनी बड़ी बढ़ोतरी मध्यमवर्गीय परिवार के मासिक बजट का संतुलन गड़बड़ा रही है। इससे सभी आवश्यक खाद्य वस्तुओं के भाव बढऩे से सीधा असर घर चलाने वाली गृहणियों पर हो रहा है। दूरदराज की शिक्षण संस्थानों व कोचिंग क्लासेज जाने वाले मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों के अध्ययन पर भी सीधे असर को देखते हुए सरकार को पेट्रोल के भावों में कमी होनी चाहिए। अलका जौहरी, समाजसेविका

बिजली की दरें कम हो

राज्य सरकार को बिजली की दरों में कमी करनी चाहिए। लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यमवर्गीय परिवार हुआ है। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में विकास के बावजूद बिजली महंगी होती जा रही है। जिस तरह फोन आवश्यक है उसी तरह बिजली भी आवश्यक है। सरकार को गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों की शिक्षा के लिए जरूरी बिजली की दरों में कमी करनी चाहिए। बजट ऐसा हो जो महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके। खाद्य वस्तुओं के भावों में राहत मिलने से ही परिवार की गाड़ी सुचारू रूप से चल सकेगी। प्रभा वैद्य, पूर्व अध्यक्ष माहेश्वरी महिला मंडल

गैस के भाव स्थिरता हो

रसोईघर में गृहणियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण गैस है जिसके भाव लगातार बढ़े है। सरकार एक तरफ बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क सिलेण्डर दे रही है तो दूसरी तरफ गैस के भावों में लगातार बढ़ोतरी कर रही है। गैस के भावों में लगातार उतार चढ़ाव की जगह सरकार को गैस के भाव स्थिर कर देना चाहिए ताकि घर का बजट गड़बड़ाए नहीं। रसोई घरों में प्रयुक्त चीजें आटा, दाल, चावल, गेहूं, तेल के बढ़ते भाव पर भी लगाम लगे ताकि घर चलाने वाली महिलाओं को कुछ राहत मिले। गैस के भाव को न्यूनतम स्तर फिक्स कर देना चाहिए।

मंजू सारस्वत, महिला उद्यमी जोधपुर

फ्रूट सब्जी के भाव पर लगे अंकुश

परिवार के सभी सदस्यों को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी घर का प्रबंधन करने वाली महिला पर होता है। ऐसे में फल और सब्जी जैसी आवश्यक चीजों के भाव पर अंकुश लगाने की जरूरत है। एक तरफ किसान कह रहा है उसे उपज की लागत तक नहीं मिल रही है तो दूसरी तरफ रसोई घर की सभी चीजें आटा, दाल, चावल जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुएं बाजार में महंगी मिल रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार को पहल करने की जरूरत है।

मोनिका सोनी, अध्यापिका जोधपुर

कामकाजी महिलाओं को मिले छूट

कामकाजी महिलाओं को परिवार और कार्यक्षेत्र में दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ता है। ऐसे में उसे आयकर में विशेष छूट का फायदा मिलना चाहिए। इस बार कोविड के कारण महिलाओं को बजट से विशेष अपेक्षा है। इसका मुख्य कारण कोरोना लॉकडाउन के कारण सर्वाधिक असर निजी क्षेत्र में कार्यरत कामकाजी महिलाओं पर पड़ा है। पिछले साल बजट में ग्रामीण अंचल की महिलाओं के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं को लगातार जारी रखने की जरूरत है। खास तौर से रसोइघर की तमाम चीजों में राहत देने के लिए केन्द्र व राज्य बजट में विशेष छूट समाहित हो।

कैलाश कौशल, पूर्व निदेशक केएन कॉलेज

आशा है निराश नहीं करेगी सरकारें .

इस बार आम बजट और राज्य बजट अलग रहने की संभावना है क्योंकि कोरोनाकाल की मार से सभी वर्ग के लोग त्रस्त है। बिना छपे दस्तावेजों के साथ निर्मला सीतारमण को सभी वर्ग के लोगों को ध्यान में रखना पड़ेगा । सभी लोगों खास तौर से महिलाओं की उम्मीद उन पर ही टिकी है। आशा है कि मोदी सरकार की वित्त मंत्री इस बार कम से कम महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कदापि निराश नहीं करेगी।

रेखा धूत, गृहणी

Source: Jodhpur

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