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बाड़मेर. रीट की तैयार कर रहे अभ्यर्थियों को सबसे ज्यादा दिक्कत मनोविज्ञान को पढऩे में आती है। इसकी पढ़ाई कैसे करें और पढऩे का क्या तरीका है इसको लेकर पत्रिका ने विषय विशेषज्ञ से जानकारी ली तो उन्होंने मनोविज्ञान शिक्षण के तरीके बताए। उनके अनुसार रीट में लेवल प्रथम के प्रश्न ११ वर्ष के बालकों को ध्यान में रख कर बनाए जाते हैं जबकि द्वितीय लेवल में चौदह वर्ष के बच्चों के बाल विकास संबंधी प्रश्नों को पूछा जाता है। मनोविज्ञान को एकेडमिक स्तर पर नहीं और बीएड, बीएसटीसी में पढ़ाने से अभ्यर्थियों को इसकी अवधारणा की जानकारी होनी चाहिए।

मनोविज्ञान पढऩे का सही तरीका- मनोविज्ञान को पढऩे का सही तरीका अभ्यर्थी के लिए जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण कारक है पुस्तकों का चयन, जिसमें प्रमाणिक किताबों को ही अध्ययन में काम लेना चाहिए। पुस्तकों का अध्ययन करने के दौरान अभ्यर्थी खुद नोट्स बनाएं और उनका बार-बार अभ्यास करे। मनोविज्ञान में रटने की जगह हरेक का अर्थ समझ कर उसका अनुप्रयोग करना जरूरी होता है। मनोविज्ञान में परिभाषाओं को रटने की जगह अवधारणा को समझने का प्रयास करना चाहिए। हर परिभाषा की अवधारणा समझ कर ही मनोविज्ञान को सही तरीके से समझा जा सकता है। मनोविज्ञान विषय की आत्मा परिभाषित शब्दावलियों की समझ होती है।

एेसे में शब्दालियों की समझ पर अभ्यर्थी ध्यान दें।

पूर्ण अंक प्राप्ति का यह है सही तरीका- बाल विज्ञान व शिक्षाशास्त्र सीमित विषय है। इसमें पूर्ण अंक प्राप्त करने की पूरी संभावना होत है जिसके लिए जरूरी है टॉपिक को समझना। इसका सही तरीका है विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का अभ्यर्थी हल करे। रटने के बजाय ज्ञानोपयोग पर ध्यान दिया जाए तो हर टॉपिक पर अभ्यर्थी की बेहतर पकड़ हो सकती है।

परीक्षा में अर्थोपयोग पर अभ्यर्थी दे ध्यान- परीक्षा के दौरान प्रश्न सीधे नहीं अलग तरीके से पूछा जाता है। एेसे में रटने वाले अभ्यर्थी उसको समझ नहीं पाते। अभ्यर्थी को प्रश्न की भाषा से घबराने के बजाय उसके अर्थ पर ध्यान देना चाहिए। परीक्षा पास आने पर कई बार अभ्यर्थी नई किताब लेकर पढ़ते है जो तरीका सही नहीं है। अभ्यर्थी ने जो भी पूर्व पढ़ा और नोट्स बनाए हैं, उसको ही पढक़र हल करना चाहिए।- अविनाश दवे, मनोविज्ञान विषय विशेषज्ञ बाड़मेर

Source: Barmer News

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