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बिलाड़ा (जोधपुर). एक सौ ग्यारह वर्ष पहले बना रेलवे स्टेशन भवन, प्रतीक्षालय तथा रेल अधिकारियों- कर्मचारियों के ठहरने के डाक बंगले एवं आवासों की आज तक किसी भी अधिकारी ने सुध नहीं ली और यह भवन अब जर्जर स्थिति में पहुंच गए हैं, और किसी भी समय क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

वर्ष 1905 के दौर में बनाए गए रेलवे स्टेशन का ना तो कभी विस्तार हुआ और ना ही इसकी हिफाजत रखी गई। वर्तमान में यह सभी भवन जीर्ण- शीर्ण हो चुके हैं। मीटर गेज से ब्रॉडगेज में बदले गए इस खंड के दौरान भी स्टेशन, प्लेटफार्म, प्रतीक्षालय आदि को ज्यों का त्यों रखा गया। वर्तमान में रेलवे स्टेशन मास्टर कक्ष को देखा जाए तो बड़ा हास्यास्पद लगता है। प्लेटफार्म से 4 फीट गहराई पर स्टेशन मास्टर का कक्ष स्थित है, तथा सीढिय़ां चढ़कर प्लेटफार्म पर पहुंचना पड़ता है।

चारों तरफ झाडिय़ां ही झाडिय़ां

कालांतर में शताब्दी पुराना हो चुका यह बिलाड़ा स्टेशन ,इसका प्लेटफार्म, अधिकारियों के रुकने का डाक बंगला, कर्मचारियों के आवास सभी विदेशी बबूलों की झाडिय़ों में ढक से गए हैं। स्टेशन एवं प्लेटफार्म से एक तरफ इंजिन चालकों एवं अधिकारियों के लिए बना भवन भी बबूल की झाडिय़ों से इतना अट चुका है कि ध्यान से देखने पर ही यह भवन नजर आता है। इन दिनों कस्बे के आवारा एवं स्मैकचियों का यह भवन अड्डा बना हुआ है।

अनलॉक के बावजूद नहीं चल रही है रेलगाड़ी

ब्रॉडगेज के रूप में परिवर्तित होने पर इस रेलखंड पर पहली बार सांसद रह चुके बद्रीराम जाखड़ ने दो डिब्बों वाला अद्दा चलाया था। पश्चात 5 डिब्बों की रेल भी चली लेकिन राजस्व नहीं मिलने पर रेल मंडल ने रेल बंद कर दी। बाद में सांसद पीपी चौधरी के सुझाव पर इस रेल को बिलाड़ा- जैसलमेर एवं बाड़मेर के बीच चलाने का सुझाव दिया और रेल फिर चली। लेकिन कोरोना काल के दौरान रेल को स्थगित कर दिया। अब जब अनलॉक की स्थिति है, बावजूद इस रेल को फिर से चलाने के लिए कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा है।

इतिहास में यह रेलखंड

जोधपुर रेलवे के संस्थापक महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय ने 18 जनवरी 1905 को पीपाड़ रोड से बिलाड़ा को जोडऩे के लिए 25 मील लंबी नैरोगेज रेल लाइन डालने का निर्णय किया। इसमें से 19 मील पीपाडऱोड- भावी लाइन 11 नवंबर 1910 को, तथा भावी बिलाड़ा 6 मील लाइन 1 मार्च 1912 को शुरू कर दी गई। 1928 में पूरा भाग मीटरगेज में बदला गया। इसे 1997 में उखाड़ दिया गया। 2001- 02 में आमान परिवर्तन के लिए फिर सांसद जसवंत सिंह बिश्नोई के दौर में भूमि पूजन हुआ जिसका कार्य 2008 में पूर्ण हुआ।

Source: Jodhpur

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