– -बाड़मेर. कोरोना संकट के बाद मौसम की मेहरबानी ने किसानों की किस्मत का साथ दिया है। रबी की बुवाई से लेकर कटाई तक इस बार ना तो जिले में अतिवृष्टि की मार पड़ी ना ही ओलावृष्टि ने कहर बरपाया। जीवाणुओं का प्रकोप कम रहा तो फसलों में रोग भी कम लगे। इसके चलते इस बार करीब तीस अरब की कमाई की उम्मीद किसानों को है। अब फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है तो किसान खुश है कि अनुकू ल मौसम के चलते वे इस बार अच्छी कमाई ले पाएंगे। जिले में रबी की फसलें पिछले कुछ साल से ली जा रही है। करीब दो दशक से दिनोदिन क्षेत्रफल बढ़ रहा है, जिसके चलते किसान निहाल हो रहे हैं, लेकिन हर बार मौसम की मार किसानों की किस्मत पर भारी पड़ती है। इस बार मौसम की मेहरबानी रही, जिसके कारण अच्छी कमाई की उम्मीद है। गौरतलब है कि दिवाली के आसपास अक्टूबर-नवम्बर में रबी की फसलें जीरा, ईसबगोल, अरण्डी, रायड़ा आदि की बुवाई होती है तो अनार की उपज भी मिलती है। हर बार कभी अतिवृष्टि के चलते फसलों को नुकसान होता है तो कभी ओलावृष्टि से। इस बार अब तक ना तो सर्दियों में बारिश हुई और न ही ओले गिरे, जिस पर फसलों का नुकसान नहीं हुआ।
अब किसान फसलों की कटाई में जुटे हुए हैं जिनको उम्मीद है कि इस बार अनुमानित तीस अरब की कमाई रबी की फसलों से होगी। जीरा, ईसबगोल और रायड़ा देगा बम्पर कमाई- जिले की रबी की प्रमुख फसलें जीरा, ईसबगोल, रायड़ा है। इन फसलों को हर बार मौसम की मार सहनी पड़ती है, लेकिन इस बार एेसा नहीं हुआ। इसके चलते बम्पर पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है। जीरे की कमाई करीब आठ-नौ अरब़, ईसबगोल की पांच-छह अरब व रायड़ा की पांच अरब होने की उम्मीद की जा रही है। घर-घर आएगी खुशियां- कई सालों बाद मौसम की मेहरबानी रहने से किसानों के घरों में रबी की कमाई से खुशियां आने की आस जगी है। जीरा, ईसबगोल की कटाई के बाद किसान गुजरात जाकर बेचेंगे तो रायड़ा की बिकवाली स्थानीय व प्रदेश स्तर पर होगी। बढि़या उत्पादन की उम्मीद- इस बार मौसम अनुकू ल रहा।
इसके चलते बढि़या उत्पादन की उम्मीद है। अब किसान फसलों की कटाई में जुट गए हैं।- बाबूलाल मांजू, किसान नेता गुड़ामालानी
किस्मत रही मेहरबान– इस बार किसानों पर किस्मत मेहरबान रही है। फसलों को रोग लगे ना ही मौसम की मार सहनी पड़ी। अब अच्छी कमाई की आस है।- सवाईङ्क्षसह राठौड़, प्रगतिशील किसान भिंयाड़
बम्पर पैदावार की उम्मीद- इस बार बाड़मेर जिले में रबी से बढि़या उत्पादन की आस है। करीब तीस अरब का उत्पादन हो सकता है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक, केवीके गुड़ामालानी
Source: Barmer News