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जोधपुर।

विश्व प्रसिद्ध देश की हैण्डीक्राफ्ट निर्यात इंडस्ट्री मुश्किल दौर से गुजर रही है। एक ओर रॉ मेटीरियल के दाम लगातार बढऩे से निर्यातकों की उत्पाद लागत बढ़ रही है। दूसरी ओर जीएसटी के रूप में जमा हुआ धनराशि का रिफ ण्ड भी नहीं मिल पा रहा है व सरकार की ओर से निर्यातकों को प्रोत्साहन रुपी एमइआइएस इंसेन्टिव भी 1 जनवरी से बन्द कर दिया गया है। ऐसे में जमा हुई धनराशि वापस नहीं मिल पाने के कारण निर्यातकों की करोड़ों रुपयों की राशि फंसी हुई है। देशभर के निर्यातकों का यह आंकड़ा करीब 30 हजार करोड़ के पार पहुंच चुका है। इसमें जोधपुर के हैण्डीक्राफ्ट निर्यातकों के करीब 150 करोड़ की पूंजी भी शामिल है। जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने रिफ ण्ड को लेकर केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को ट्वीट व ई-मेल कर मामले में हस्तक्षेप कर सकारात्मक कार्यवाही की गुहार लगाई है। वित्त मंत्रालय ने निर्यातकों के रिफ ण्ड जल्द जारी करने का आश्वासन दिया है ।

जोधपुर से सालाना 3 हजार करोड़ का निर्यात

जोधपुर से हर साल 3 हजार करोड़ से अधिक का लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पादों निर्यात देश के 110 से अधिक देशों में होता है। जीएसटी लागू होने के बाद से निर्यातकों को आइजीएसटी और एसजीएसटी जमा करना पड़ता है। हर महिने रिटर्न फ ाइल करने के बाद यह राशि उन्हें रिफ ण्ड कर दी जाती है। पिछले महिनों में निर्यातकों का आइजीएसटी और एसजीएसटी का रिफ ण्ड विभाग द्वारा पेमेंट एडवाइस जारी किए जाने के बाद भी नहीं मिल पाया है।

कच्चे माल में 30 फीसदी उछाल

हैण्डीक्राफ्ट में काम आने वाले सभी प्रकार के कच्चे माल की कीमतें आसमान छू रही है। पिछले दो महिनों में कच्चे माल की कीमत में तीस फ ीसदी तक उछाल आया है। कीमत बढऩे के कारण कच्चे माल के सप्लायर कैश भुगतान करा रहे है। क्रेडिट पर काम पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। ऐसे में निर्यातकों के पास पूंजी का अभाव होने से काम करना मुश्किल हो रहा है।

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कच्चे माल पर बेतहाशा महंगाई और एमआइइएस स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले इंसेन्टिव का पेमेंट अब तक नहीं होने से निर्यातकों को अब जीएसटी रिफ ण्ड की करीब 150 करोड़ की धनराशि फ ंस जाने का झटका लगा है। सरकार से जल्द रिफण्ड जारी करने की मांग कर रहे है।

डॉ भरत दिनेश, अध्यक्ष

जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन

Source: Jodhpur

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