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जोधपुर. राज्य सरकार में नौकरी के दो साल प्रोबेशन पीरियड के होते हैं। उसके बाद कार्यालय संबंधित कार्मिक का सेवा संतोषजनक प्रमाण पत्र जारी करता है ताकि नियुक्ति प्राधिकारी उसे नियमित कर सकें, लेकिन जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में उलटी गंगा बह रही है। यहां नौकरी करने के ९ साल बाद अब १०५ शिक्षकों का सेवा प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। अचरज की बात यह है कि इन शिक्षकों को सिण्डीकेट में बगैर सेवा संतोषजक प्रमाण पत्र के पहले ही नियमित किया जा चुका है।

जेएनवीयू में वर्ष 2012-13 में 154 शिक्षकों की भर्ती हुई थी। भर्ती में घोटाले और मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण इसमें से 105 असिस्टेंट प्रोफेसर नियमित नहीं हो सके। पिछले महीने ३ फरवरी को सिण्डीकेट की बैठक में इन शिक्षकों को नियमित (कंफर्म) कर दिया गया। इन शिक्षकों का प्रोबेशन पीरियड फरवरी 2015 में पूरा हो गया था, तब सेवा संतोषजनक प्रमाण पत्र जारी करना था लेकिन विवि ने इसके बगैर ही नियमित करके अब सभी विभागों से प्रमाण पत्र मांगें हैं। एक-एक करके सभी विभाग इन शिक्षकों को इनकी फरवरी 2013 से फरवरी 2015 में दी गई सेवाओं के संबंध में प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं।

सेवा स्थिरिकरण से पहले वेतन स्थिरिकरण
मामले में रोचक बात यह भी है कि सभी शिक्षक ९ साल से भले ही प्रोबेशन पीरियड पर थे लेकिन इनका वेतन स्थिरिकरण कई साल पहले कर दिया गया था यानी स्थाई असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नहीं होने के बावजूद उसकी पे-स्कैल ले रहे थे। राज्य सरकार के नियमानुसार किसी कार्मिक की सेवा नियमित होने के बाद ही उसका वेतन नियमित किया जाता है।

पदोन्नति में फंसा पेच, तब याद आया प्रमाण पत्र

दरअसल विवि प्रशासन इन शिक्षकों को अब कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के अंतर्गत पदोन्नत करेगा। पदोन्नति में सेवा संतोषजनक प्रमाण पत्र चाहिए होता है इसलिए सिण्डीकेट में स्थाई करने के बाद अब विवि प्रशासन को अपनी भूल का अहसास हुआ है।

Source: Jodhpur

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