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बाड़मेर. होली का रंग चंग से ही जमता है। चंग की धमक के साथ होली के गीत माहौल में एक अलग ही मिठास घोल रहे हैं। वहीं मंदिरों में फागोत्सव होली का आनंद और बढ़ा रहे हैं। आयोजनों में उड़ती गुलाल और पुष्प होरी से सराबोर होते भक्ति गीतों पर झूम रहे हैं। वहीं गांव और शहरों में शाम होते ही चंग की धमक पर थिरकते युवा थार की समृद्ध परम्पराओं को जीवंत कर देते हैं।
होली में अब एक-दो दिन ही बचे हैं, इसके कारण मोहल्ले और गलियों में शाम होते ही चंग की थाप सुनाई देना शुरू हो जाती है। युवाओं की टोली के बीच कई बुजुर्ग भी साथ हो जाते हैं, जो उन्हें होली की परम्पराओं से अवगत करवाते हुए होली के गीतों की लय-ताल से भी रूबरू करवाते हैं। जिससे थार की समृद्ध परम्पराओं से युवा पीढ़ी भी परिचित हो सके।
माहौल में घुलने लगे होली के गीत
शहर की बजाय गांवों में चंग की धमक ज्यादा सुनाई दे रही है। शाम होते ही दूर गांव-ढाणी तक चंग की थाप के साथ होली के गीत माहौल में घुल रहे हैं। वहीं शहरों में मंदिरों में फागोत्सव की धूम मची है। इस दौरान सज रही भगवान कृष्ण-राधा की झांकिया मन मोह रही है।

Source: Barmer News

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