बाड़मेर. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 2023 को बाजरे का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। इस घोषणा से बाजरा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और विश्व में बाजरे के पोषक और पारिस्थितिकी लाभ को प्रोत्साहित करने की दिशा में यह बड़ा कदम है साबित होगा जिसका प्रत्यक्ष फायदा बाड़मेर को भी मिलेगा।
बाड़मेर जिले में लगभग 10 लाख हैक्टेयर में बाजरा बोया जाता है जो कि पूरे भारत में प्रथम स्थान पर है। जिले में करीब पांच अरब का बाजरा होता है बावजूद इसके बाजरा केवल घरों में खाने के ही काम आता है। अधिकांश किसान बेचने के बजाय घर में खाने के लिए ही बाजरा बोते हैं। वहीं, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात को छोड़ शेष जगह इसकी नणग्य मांग होने से बाजरा का न तो भाव मिलता है और ना ही मांग ज्यादा होती है। हालांकि बाजरा के पोष्टिक तत्व सेहद के लिए बेहतर होते हैं, लेकिन इसका रोटी (सोगरा ), राबड़ी के अलावा अन्य उपयोग नहीं हो रहा है। अब अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित होने से देश से बाहर भी बाजरा की जानकारी लोगों को मिलेगी तो इसकी उपयोगिता बढेगी। वहीं अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित होने से विश्व के कई देशों में इस पर शोध कर औषधीय उपयोग में लेने पर अनुंसधान होगा जिससे बाजरा की मांग बढऩे की उम्मीद है।
क्षेत्रफल में वृद्धि की उम्मीद- २०२३ अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित होने से बाडमेर जिले में बाजरा के क्षेत्रफल में भी काफी वृद्धि होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित होने से बाजरा की महत्ता और बढ़ जाएगी। साथ ही स्टार्टअप्स, नवीन उद्योग, नवीन अनुसंधान, बाजारीकरण, उत्पादन क्षमता, विभिन्न नई-नई किस्में आदि का लाभ जिले को मिलेगा।
अनुसंधान केन्द्र से बढ़ी उम्मीद- सरकार ने हाल ही में बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केन्द्र की घोषणा की है। इससे बाजरा पर अनुसंधान होगा और नई किस्में विकसित होगी। इन किस्मों के चलते बाजरा का प्रति हैक्टेयर उत्पादन बढ़ेगा तो किसानों को लाभ पहुंचेगा। गौरतलब है कि वर्तमान में करीब ढाई क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर बाजरा उत्पादन हो रहा है जो काफी कम है।
अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष से फायदा- अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष २०२३ घोषत होने से बहुत फायदा होगा। बाजरा का विदेश तक पहचान मिलेगी तो अन्य देशों में भी बाजरा की मांग बढ़ेगी। अनुसंधान होने से बाजरा का औषधिय उपयोग भी होने की उम्मीद होगी जिससे मांग बढ़ेगी। जिस पर बाड़मेर के किसानों को बढि़या भाव मिलेंगे। किसान भी अब अपने खाने क अलावा बाजार में बेचने के लिए बाजरा बोएंगे जिससे क्षेत्रफल भी बढ़ेगा।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी
Source: Barmer News