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धोरीमन्ना. उपखण्ड मुख्यालय की पहाड़ी पर नवनिर्मित जम्भेश्वर मंदिर का सात दिवसीय कलश स्थापना महोत्सव मंगलवार को शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ। जम्भेश्वर सेवक दल सदस्य श्रीराम ढाका ने बताया कि शोभायात्रा में 108 महिलाएं सिर पर कलश रख चल रही थीं।

पीछे रथ पर संत डॉ. गोवर्धनराम आचार्य रथ पर सवार थे। उनके पीछे 29 नियम लिखी तख्तियां बिश्नोई समाज के लोग तथा ट्रैक्टर पर पर्यावरण, वन्य जीव सरंक्षण व 29 नियमों पर आधारित झांकियां सजी हुई थी।

शोभायात्रा उच्च माध्यमिक विद्यालय से रवाना होकर हाइस्कूल मैदान, गायत्री मंदिर, होली चौक, हनुमानजी मंदिर, नया बाजार, मुख्य चौराहा, मुख्य बाजार से होते हुए जम्भेश्वर मंदिर स्थित कथा स्थल पर पहुंची।

शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण पर आधारित झांकी आकर्षण का केंद्र रही। कथावाचक डॉ. गोवर्धनराम ने जाम्भाणी हरिकथा का शुभारंभ किया। इसमें उन्होंने कहा कि मनुष्य को युक्तिपूर्वक जीवन जीते हुए मुक्ति पाने का प्रयास करना चाहिए।

84 लाख योनियों में केवल मनुष्य योनि से ही शुभकर्म कर मुक्ति पाई जा सकती है। भगवान जाम्भोजी ने 550 वर्ष पूर्व मानव मात्र कल्याण के लिए वन्य जीव व पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए विज्ञान की कसौटी पर खरे उतरते हुए 29 नियमों का प्रतिपादन कर बिश्नोई पंथ की स्थापना की।

समाज के दानदाताओं ने मंदिर निर्माण में सहयोग दिया। इस अवसर पर महंत स्वामी हरिदास, स्वामी गोपालदास, सुखराम खिलेरी, जयकिशन भादू, मंगलाराम ढाका, हेमाराम कड़वासरा, सुजानाराम गोदारा, देवेन्द्र तेतरवाल, प्रकाश खिलेरी, बबलू ढाका, भानाराम मंडा सहित अन्य मौजूद रहे। संचालन रामजीवन खिलेरी ने किया।

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Source: Barmer News

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