बाप (जोधपुर). बाप क्षेत्र तपते थार में शुमार है। यहां गर्मियों में कई बार पारा 50 डिग्री सेल्सियस से बाहर चला जाता है। बावजूद इसके घटोर गांव निवासी बालम खान ने अपने जुनून और मेहनत के पसीने से सींच कर थार में आम के पौधे विकसित कर दिए है।
पथरीली व रेतीली जमीन में आज उसकी बगिया में आम के 18 पौधे तैयार हो गए है। इनमें पर आम लग भी रहे है। इसके अलावा नारियल, चीकू, बादाम, संतरा, अमरूद सहित कई प्रकार के पौधे भी हैं। सभी पौधे देशी खाद से विकसित किए गए है।
थार का वातावरण सूखा और गर्म होने से यहां आम के पेड़ नहीं लगते लेकिन बालम खां की मेहनत से आम के पौधे पेड़ में बदल चुके है। बालम खां ने बताया कि उन्हें शुरू से ही पौधों से लगाव रहा है। लेकिन पानी की कमी व तेज गर्मी की वजह से फलदार पौधे लगाना बड़ी चुनौती भरा काम था। 2005- 06 में एक एनजीओ ने उसे 9 पौधे दिए थे। 3 गूंदा, 3 नींबू व 3 बेर के पौधे थे। परिवार के सहयोग से सभी पौधे पनप गए।
एनजीओ के पौधे विकसित होने पर बालम खां का थोड़ा हौसला बढ़ गया। 2008- 09 में फलोदी में महाराष्ट्र से कोई पौधे बेचने आया था। बालम खान ने बताया कि पौधे वाले के पास कई फलदार पौधे भी थे। इनमें कई बिक चुके थे। पौधे वाले से उन्होंने आम, अमरूद, चीकू, कागजी नींबू, बादाम सहित कई अन्य 24 फलदार पौधे लेने के लिए उसने करीब 10 हजार रुपए दिए। एडवांस में रकम देने पर घरवाले काफी नाराज भी हुए, लेकिन पौधेवाले ने सप्ताह भर बाद पौधे पहुंचा दिए।
पौधों में दे रहे केवल मेंगनी की खाद
बालम खान ने बताया कि पौधे लगाने के बाद सबसे बड़ी समस्या पानी की सामने आई। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बैलगाड़ी पर 3-4 किमी दूर से प्रतिदिन 2-3 बार पानी लाकर पौधों को पिलाया। यह सिलसिला करीब 7 साल तक चला। अब पानी की समस्या नहीं है। खाद के रूप में केवल बकरियों की मेंगनी से बनी खाद ही दी। आज भी वह पौधों को केवल बकरी खाद ही डालते है।
आज चार बीघा में फैली उसकी बगिया में 18 आम, 16 चीकू, 15 संतरा, 1 शहतूत, 40 खजूर, 5 अनार, 10 अमरूद, 20 कागजी नींबू, 4 काले जामुन, 3 बादाम, मीठा नीम, पपीता सहित कई प्रकार के पेड़ लहलहा रहे है। गर्म वातावरण के बावजूद आम के पौधे फल भी दे रहे है।
Source: Jodhpur