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दिलीप दवे बाड़मेर. जिले में कोरोना कहर के बीच ठीक होते मरीजों की तादाद ने कोरोना पॉजिटिव लोगों की सोच को सकारात्मकता में बदल दिया है। ऑक्सीजन लेवल व स्कोर ऐसा नाम है जो अनजान से अनजान व्यक्ति भी पूछता है।

ऑकसीजन लेवल नब्बे से नीचे तो नहीं है। स्कोर ठीक है क्या? ऐसे में कम स्टोर व ऑक्सीजन लेवल वाले मरीजों के ठीक होने की खबरें अस्पताल में भर्ती मरीजों को हौसला दे रही हे तो होम आइसोलेटेड लोगों की सोच में पॉजिटिव बदलाव ला रही है।

सीमावर्ती जिले बाड़मेर में कोरोना कोहराम मचा रखा है। पिछले एक-डेढ़ माह से बढ़ते कोरोना मरीजों के साथ मौत का आंंकड़ा चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसे माहौल में सोशल मीडिया या आमजन से मिल रहे समाचार आमजन को चिंता में डाल देते हैं, वहीं इसका असर कोरेाना पॉजिटिव मरीजों की सोच पर भी नजर आता है। अस्पताल में भर्ती मरीजों के पास जब भी किसी परिचित की मौत की सूचना पहुंचती है तो उसकी सोच नकारात्मक हो जाती है।

विशेषकर ऑकसीजन लेवल कम होते ही उनके विचार नकारात्मक हो जाते हैं। ऐसे माहौल में पिछले कुछ दिनों से ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद पन्द्रह से पच्चीस दिन बाद भी कई मरीजों के स्वस्थ होने की जानकारी न केवल जिले के वासियों को सुकू न दे रही है वरन अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी हौंसला दे ही है।

उनको लगने लगा है कि नियमित दवाई का सेवन करने से कोरोना से जंग जीती जा सकती है।हर दिन डिस्चार्ज होने वालों की तादाद काफी- जिले में पिछले कुछ दिनों से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की तादाद बढ़ रही है।

हर दिन पौने दो सौ से तीन सौ मरीजों के डिस्चार्ज होने, बेड खाली, ऑक्सीजन की पर्याप्त सुविधा आदि सकारात्मक बातें पॉजिटिव मरीजों के दिमाग से नेगेटिव सोच को निकाल रही है।

गौरतलब है कि शनिवार को 188 मरीज डिस्चार्ज हुए जबकि 90 मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जिले में शनिवार तक 15551 जने कोरोना पॉजिटिव हुए जिसमें से 14842 डिस्चार्ज हो चुके हैं।सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा – कोरोना पॉजिटिव मरीजों के स्वस्थ होने की जानकारी भर्ती मरीजों की सोच पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल रही है। उनको लग रहा है कि वे भी पॉजिटिव सोच रख कर कोरोना से जंग जीत सकते हैं। ऐसे में मौत का आंकड़ा घट रहा है तो डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की तादाद बढ़ रही है।- डॉ. बी एल मंसुरिया, पीएमओ राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर

केस संख्या 1 – कवास निवासी रेखाराम ने 17 दिन तक कोरोना से जंग लड़ी और आखिरकार ठीक होकर घर लौटा। उसका स्कोर 25 था तो ऑक्सीजन लेवल 50। बावजूद इसके वह ठीक हो गया।

केस संख्या 2- मुनि मयशसागर को कोरोना हुआ तो बाड़मेर के अस्पताल में भर्ती करवाया। ऑक्सीजन लेवल कम होने के बावजूद मात्र तीन दिन में ही उन्होंने कोरोना को मात दे दी। उनको अस्पताल से छुट्टी मिल गई।

केस संख्या 3- शहर निवासी राहुल को कोरोना हुआ। परिवार ने कहा कि कोरोना गाइड लाइन की पालना करने पर वह ठीक हो जाएगा। आसपास के लोगों के उदाहरण दिए तो उसका हौसल बढ़ा और घर रह कर ही वह सही हो गया।

Source: Barmer News

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