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बाड़मेर. कोरोना ने लोगों में पर्यावरण के प्रति सजगता पैदा कर रही है। एक तरफ जहां औषधीय पौधों से इम्युनिटी पावर बढऩे की सोच ने तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा जैसे पौधों को घर की शोभा बढ़ा दिया है तो दूसरी ओर ऑक्सीजन को लेकर पौधरोपण की सोच ने नीम, पीपल, बरगद और खेजड़ी की महत्ता को फिर से लोगों के बीच पहुंचा दिया है। यहीं कारण है कि सामाजिक संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएं और पर्यावरण प्रेमी के साथ सरकारी तंत्र भी पौधरोपण को महत्व दे रह है। इस पर चहुंओर पौधरोपण हो रहा है तो घरों में वाटिकाएं सज रही है। सीमावर्ती जिला कोरोना की चपेट में आया तो हजारों लोग संक्रमित हुए तो कई जनों की जान चली गई। एेसे में इम्युनिटी पावर बढ़ाने और प्राकृतिक ऑक्सीजन को लेकर बात कही जाने लगी।

इसका असर अब देखने को मिल रहा है जब मानसून से पहले पहली बारिश होते ही लोगों की पौधरोपण के प्रति सकारात्मक सोच नजर आई। पिछले तीन-चार दिन में जिले में मानो पौधरोपण की बहार सी आ गई है। अभी मात्र औपचारिकता रह गया पौधरोपण अब लोगों के लिए अनिवार्य हो चुका है। विभिन्न सामाजिक संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आई और शहर में करीब एक हजार से अधिक पौधे दो दिन में लगाए गए हैं। पीपल, बरगद और नीम की बढ़ी महत्ता- कोरोना के दौरान मरीजों में ऑक्सीजन लेवल कम होने पर इसका कारण पर्यावरण को हो रहा नुकसान माना गया। इस पर ऑक्सीजन को लेकर पौधरोपण की बात कही गई जिसका असर यह है कि अब नीम, पीपल, बरगद, खेजड़ी जैसे पेड़ जिन्हें भारतीय संस्कृति में पूजनीय माना जाता है, उनको लगाने की मुहिम फिर से चल पड़ी है।

घर-घर तुलसी और गिलोय– इधर लोगों ने घरों में तुलसी के पौधे और गिलाय की बेल लगाने में भी रुचि दिखाई है। यहींं कारण है कि अब थार में तुलसी घरों के आंगन में और घर की देहरी के बाहर गिलोय की बेल लग रही है।

भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों का महत्व- भारतीय संस्कृति में पेड़ पौधों का महत्व है। हम तुलसी, नीम, पीपल, बरगद, खेजड़ी आदि में देव-देवताओं का निवास मान कर पूजा करते हैं। कोरोना के दौरान इन्हीं से इम्युनिटी पावर बढऩे की बात सामने आने से अब लोग घरों में तुलसी, गिलोय लगा रहे हैं तो अन्य पौधे भी घरों के बाहर लग रहे हैं।- स्वरूपचंद शर्मा, बाड़मेर

Source: Barmer News

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