NAND KISHORE SARASWAT
जोधपुर. गुरुवार 10 जून का दिन बहुत ही खास रहने वाला होगा। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर सूर्यग्रहण लगेगा। इसी तिथि को एक तरफ पिता सूर्यदेव ग्रहण के साए में रहेंगे तो वहीं पुत्र शनि की जयंती मनाई जाएगी। शनि जयंती पर सूर्यग्रहण लगेगा और यह ग्रहण वलायाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें सूर्य एक चमकदार अंगूठी के रूप में दिखाई पड़ेगा।
प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार सूर्यग्रहण और शनि जयंती एक साथ होने के अलावा इस दिन शनिदेव मकर राशि में वक्री रहेंगे। इस तरह का संयोग दोबारा से 148 वर्षों के बाद होने जा रहा है। इससे पहले यह संयोग 26 मई 1873 में हुआ था। भारत में सूर्यग्रहण दिखाई नहीं देगा इस कारण से यहां सूतककाल मान्य नहीं रहेगा। सूतककाल वहीं पर मान्य होता है जहां ग्रहण दिखाई देता है। साल का यह दूसरा ग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है, उनके लिए हनुमान चालीसा का पाठ और शनि से संबंधित चीजों का दान करना शुभफलदायी हो सकता है।
ग्रहण का समय
भारतीय समयानुसार सूर्यग्रहण का आरंभ गुरुवार दोपहर 1.42 बजे से शुरू होगा और शाम 6. 41 बजे ग्रहण पूर्णरूप से समाप्त हो जाएगा। सूर्य ग्रहण अमरीका, यूरोप, उत्तरी कनाडा, रूस और ग्रीनलैंड में देखा जा सकेगा। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में होने से इस राशि के जातक स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रभावित होंगे।
शनिधाम में 11 हजार लीटर तेल से होगा अभिषेक
दक्षिण मुखी शनि पीठ शनिधाम शास्त्री नगर में सोशल डिस्टेंसिंग व कोरोना गाइडलाइंस की पालना करते हुए शनि जयंती गुरुवार को मनाई जाएगी। इस अवसर पर शनिधाम में 11 हजार लीटर तेल से दक्षिण मुखी शनि देव प्रतिमा का अभिषेक किया जाएगा। रात 8 बजे भोग लगाकर महाआरती की जाएगी। शाम 7 से 8 बजे तक ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था रहेगी। महंत हेमंत बोहरा ने बताया कि इस बार शनि जयंती पर चार योग एक साथ बनने से विधि विधान से पूजा करने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
Source: Jodhpur