बाड़मेर। वैश्विक महामारी कोविड-19 में महात्मा गांधी नरेगा योजना ग्रामीणों के लिए मददगार साबित हो रही है। लॉक डाउन में सोशल डिस्टेंस के साथ योजना को अनलॉक करने से ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होने लगा है। बाड़मेर जिला 1 लाख 41 हजार 614 श्रमिकों के नियोजन के साथ प्रदेश में अव्वल स्थान पर है। जबकि 1 लाख 27 हजार 035 श्रमिकों के नियोजन के साथ बांसवाड़ा जिला दूसरे एवं 69 हजार 281 श्रमिक नियोजन के साथ डूंगरपुर जिला तीसरे स्थान पर है।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू के मुताबिक महात्मा गांधी नरेगा योजना में स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों के साथ बेरोजगार प्रवासियों को भी रोजगार मिल रहा है।
बाहर से लौटे लोगों को मनरेगा का मिला सहारा
जिले के हजारों लोग गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब समेत दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न प्रतिष्ठानों में नियोजित थे। लॉक डाउन लगने के साथ बड़ी तादाद में बाड़मेर लौटे प्रवासियों के सामने रोजगार का संकट हो गया। ऐसी स्थिति में महात्मा गांधी नरेगा योजना में बड़ी तादाद में बेरोजगार प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराया गया।
Source: Barmer News