बाड़मेर ञ्च पत्रिका. जोधपुर का 2001 का मैरिज गार्डन की छत गिरने का हादसा जिस किसी की जेहन में है वो यह नहीं भूल सकता कि रेड एण्ड व्हाइट वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले कमलसिंह राजपुरोहित ने जान पर खेलकर 35 श्रमिकों को बचा लिया था, वहीं कमलसिंह कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना से हार गया। करीब एक माह तक अहमदाबाद में कोरोना से लड़ते रहे कमलसिंह के निधन ने एक हिम्मती इंसान को छीन लिया।
केन्द्रीय विद्यालय उत्तरलाई के शिक्षक कमलसिंह राजपुरोहित वर्ष 2001 के रेड एंड व्हाइट वीरता पुरस्कार से सम्मानित थे। वर्ष 2001 में कमलसिंह राजपुरोहित जोधपुर में सरदारपुरा स्थित राजपुरोहित छात्रावास में थे। जयनारायण व्यास विश्व विद्यालय के ओल्ड कैम्पस में बीकॉम प्रथम वर्ष में अध्ययनरत थे। छात्रावास के सामने मैरिज पैलेस का निर्माण चल रहा था। बल्लियां और लोहे के स्ट्रक्चर खड़े करके छत भरी जा रही थी। उस समय करीब 125 श्रमिक काम कर रहे थे। अचानक छत ढह गई । करीब 20-30 फीट गहरे गडढ़े में सारे मजदूर फंस गए। गिरने का धमाका सुना तो भागकर बाहर देखा तो तुरंत वहां पहुंचे और पेड़ के सहारे रस्सी बांधी और मलबे में दबे मजदूरों तक पहुंचे। उन्होंने सभी 35 मजदूरों को मलबे से बाहर निकाला।
दुर्घटनास्थल पर पहुंचने में राजपुरोहित को महज 7-8 मिनट लगे। तुरंत ही मलबे में फंसे लोगों को खींचकर बाहर निकालना शुरू किया। बाहर से मदद मिलने से पहले तक वह लगभग पैंतीस मजदूरों को ऊपर का मलबा हटाकर सुरक्षित निकाल चुका था। बहादुरी के कार्य के लिए जोधपुर जिला प्रशासन ने गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान सम्मानित किया। इसके अलावा राजपुरोहित को रेड एंड व्हाइट वीरता पुरस्कार से भी सम्मानित किया। इनके सहपाठी रह चुके गौरवराजसिंह जुडिया के मुताबिक कमल शुरूआत से सेवाभावी था।
रड़वा गांव में शोक की लहर : रड़वा गांव निवासी कमलसिंह के पिता खुमानसिंह पूर्व सैनिक है। कमलङ्क्षसह के निधन से गांव में शोक छा गया। जिलेभर में राजपुरोहित समाज सहित परिजनों में बहादुर युवक के खोने का शोक है।
Source: Barmer News