NAND KISHORE SARASWAT
जोधपुर. वर्षा जल संग्रहण व जल प्रबंधन के लिए मिसाल रही ऐतिहासिक नहरों का वजूद खत्म होने से जोधपुर के उम्मेद सागर, बालसमंद, बाईजी का तालाब, फतेह सागर, बड़ली सहित कई तालाबों का अस्तित्व संकट में है। जलाशयों की प्रमुख नहरों के आसपास पहाडिय़ों के जलग्रहण क्षेत्र में अंधाधुंध अतिक्रमण और खनन के कारण नहरों के साथ वनसंपदा और वन्यजीव का अस्तित्व भी संकट से घिर गया है। मंडोर रेंज के मोतीसरा वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाली नहर के आस पास अंधाधुंध खनन के कारण समूचा जलग्रहण क्षेत्र बाधित हो चुका है। बेपरवाही का आलम ये है कि नहर से सटे खनन क्षेत्र में कई हिस्से तो अब शून्य तक हो चुके है।
बालसमंद नहर एक नजर में
महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय के समय नहर का विस्तार
शासक तख्तसिंह के समय बालसमंद नहर का जीर्णोद्धार
आगोर में कुल छह बांध जो अब मलबों में दफन होने के कगार पर
दईजर से बालसमंद तक कुल लंबाई-करीब 12 किमी नहरें
नहीं बची तो संस्कृति हो जाएगी खत्म
जोधपुर के परम्परागत जल स्त्रोत वैज्ञानिक तरीके से एक दूसरे से जुडे हुए है। जोधपुर के शासको एवं सेवाभावी भामाशाहों की ओर से जोधपुर के चारों तरफ तालाब, झालरे, नाडे, नाडियां कुएं बनवाए गए थे उसे बचाने की नैतिक जिम्मेदारी प्रशासन और हम सभी की है। जलाशयों में वर्षा जल की आवक निरंतरता के लिए निर्मित प्राचीन नहरें खत्म हो गई तो हमारी प्राचीन विरासत और जल संस्कृति का खात्मा हो जाएगा। प्राचीन विरासत को बचाने के लिए आमजन और पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं को समन्वित प्रयास करने होंगे। संबंधित विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है। डॉ. शिवसिंह राठौड़ -भू जल वैज्ञानिक
नहरों पर अतिक्रमण हटाना होगा
जोधपुर की प्राचीन नहरें जोधपुर की विरासत और हमारी राष्ट्रीय धरोहर है। जिला प्रशासन के साथ जोधपुर के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि प्राचीन नहरों को संरक्षित करे और इन्हें क्षतिग्रस्त होने से बचाए और उन पर अतिक्रमण ना होने दे। रामजी व्यास, पर्यावरणविद जोधपुर
Source: Jodhpur