दिलीप दवे बाड़मेर. लॉकडाउन के दौरान बाड़मेर के हजारों घरों में खुशबू दे रहा जीरा अब गुजरात की ऊंझा मंडी को महकाने को तैयार है। प्रदेश में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने जीरे को भी घरों में लॉक कर दिया। धरतीपुत्र अनलॉक का इंतजार कर रहे थे जिससे कि वे अपनी मेहनत के बढि़या दाम जीरा बेच कर पा सके। अब लॉकडाउन में छूट मिली तो किसान ट्रक भर कर जीरा ऊंझा मंडी ले जा रहे हैं। जिले में करीब ११ अरब का जीरा होता है जिसमें से ८ अरब का जीरा ऊंझा मंडी में बिकता है। धोरों की धरती सीमावर्ती जिला बाड़मेर अब जीरा उत्पादक जिलों में सुमार है।
प्रदेश का सर्वाधिक जीरा उत्पादक जिला है जहां प्रतिवर्ष २ लाख १२ हजार हैक्टेयर में जीरा होता है जिससे किसानों को ११ अरब की आय होती है। अमूमन नवम्वर- दिसम्बर में जीरे की बुवाई होती है तथा मार्च-अप्रेल तक फसल ली जाती है।
इसके बाद किसान जीरे को बेचते हैं, लेकिन इस बार मार्च में ही कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी। जिस पर गुजरात में लॉकडाउन लगा तो कुछ समय बाद राजस्थान में भी लॉकडाउन लग गया। इस पर किसान जीरा बेच नहीं पाए और उसे घरों में सहेज कर रखना पड़ा। दो- ढाई माह के इंतजार के बाद अब प्रदेश सहित गुजरात में कोरोना की दूसरी लहर का असर कम हुआ तो सरकार ने अनलॉक की प्रक्रिया की है। इस पर किसान अब जीरे बेच रहे हैं। अरबों का जीरा, गुजरात में बिकवाली- जिले में ११ अरब का जीरा पैदा होता है। जिले में जीरा मंडी अभी तक शुरू नहीं होने से यहां जीरा की बिकवाली नहीं होती। वहीं, गुजरात की ऊंझा मंडी जीरा बिकवाली के प्रसिद्ध होने और वहां वाजिब दाम मिलने पर किसान ऊंझा मंडी की ओर रुख करते हैं। आठ अरब का जीरा ऊंझा मंडी में बिकने जाता है।
अब भर रहे ट्रक- अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जिले के गुड़ामालानी, धोरीमन्ना, चौहटन, शिव, बायतु, बाड़मेर सहित कई ब्लॉक के हजारों गांवों से किसान जीरे की बोरियां ट्रकों में भरकर ऊंझा जा रहे हैं। प्रतिदिन औसतन बीस-तीस ट्रक गुजरात जाने लगे हैं।
छोटे किसान मिलकर ट्रक ले जा रहे हैं तो बड़े किसान अकेले ही ट्रक भरकर ऊंझा जा रहे हैं।
गुजरात जाने लगा जीरा- लम्बे समय से लॉकडाउन के चलते जीरा घरों में पड़ा था। मौसम की मार की चिंता थी लेकिन अब अनलॉक होने के बाद जीरा गुजरात जाने लगा है। हर दिन क्षेत्र से दो-चार ट्रक गुजरात जा रहे हैं।- पदमसिंह राजगुरु, बीसू खुर्द
जीरे की बिकवाली शुरू- जीरे की बिकवाली लॉकडाउन हटने के बाद शुरू हो गई है। जिले में करीब ११ अरब का जीरा होता है जिसमें से आठ अरब का ऊंझा मंडी जाता है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी
Source: Barmer News