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जोधपुर। शहर की सबसे चर्चित टैक्सटाइल इकाई डर्बी टैक्सटाइल्स श्रमिकों की कॉलोनी अब पहले जैसी आबाद तो नहीं लेकिन बर्बादी की दास्तां उसी अंदाज में कहती है। इसका कारण यहां आकर खत्म होने वाला भैरव नाला है। यह नाला और इसका पानी बारिश के सीजन में परेशानियां कई गुना बढ़ा देता है। खास बात यह है कि इस नाले को पूरा करने के लिए न सिर्फ राज्य के बजट में घोषणा हुई। कागजों में कई बार योजनएं बनी, लेकिन समस्या दूर नहीं हो सकी। एक बार फिर धरातल पर आए बिना भैरव नाला प्रोजेक्ट का एलाइनमेंट बदल दिया गया है। एेसे में अभी इस समस्या का समाधान होने में और न जाने कितने मानसून निकल जाएंगे।

मजबूरी की दास्तां
कॉलोनी में रहने वाला श्रमिक श्याम हर साल की इस परेशानी से वाकिफ है। एक खतरा हमेशा बना रहता है कि खिडक़ी से बाहर बना अवांछित तालाब का पानी अंदर न आ जाए। यहां से छोड़ कर भी नहीं जाना चाहते। मोंटू भी अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं। चाहे कोई भी सीजन हो गंदे पानी के समीप सोने की मजबूरी है। मच्छरदानी का जरूर सहारा है, लेकिन यह नाकाफी है। एेसे ही सैकड़ों लोगों की परेशानियां यहां देखने और दावे करने हर साल कोई न कोई जरूर आता है।

सालों पुरानी समस्या
एक चौथाई शहर का पानी इस क्षेत्र में आकर फैलता है। इसमें ४० से ज्यादा कॉलोनियां शामिल है। बारिश में ५ से छह फुट तक पानी भर जाता है। यहां से आगे नाला जोजरी नदी तक मिलाना प्रस्तावित है।

बजट १४१ करोड़
इस नाले की अनुमानित लागत 141.2 करोड़ रुपए है। डीपीआर के लिए मैसर्स एडवांस इंजीनियरिंग को वर्क अॅार्डर जारी किया गया व कसलटेंट ने मौका स्थिति का सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया है। नाले की कुल लम्बाई 13583 मीटर प्रस्तावित की गई है। इसमें 7478 मीटर नाला कवरिंग व 6105 मीटर खुला नाला होगा।

यहां होगा बदलाव
पाल, धींगाणा की ढाणी, तनावडा राजस्व गांव होकर जोजरी नदी तक इस नाले का एलाइमेंट प्रस्तावित है। इन गांवों में कुछ स्थानों पर कटान मार्ग 25 फीट चौड़ा होना पाया। भूमि अधिग्रहण नहीं करते हुए कटान मार्ग चौड़ाई में नाला कवरिंग व जहां चौड़ाई 45 फीट हो रही वहां खुला नाला निर्माण कार्य प्रस्तावित किया गया है।

Source: Jodhpur

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