जोधपुर। केन्द्र में मंत्री बने राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव का जोधपुर से गहरा नाता रहा है। मूल रूप से अश्विनी पाली जिले के निवासी हैं, लेकिन उनके पिता जोधपुर में ही अधिवक्ता थे। इसी कारण उनकी स्कूली व इंजीनियरिंग शिक्षा जोधपुर में हुई। रातानाडा में उनका निवास था और सेंट एंथोनी स्कूल में पढ़ते थे। उनके स्कूली दिनों के साथी और पूर्व यूआइटी सदस्य रविन्द्रसिंह मामडोली ने बताया कि शुरू से ही प्रखर रहे अश्विनी की तरक्की देख कर हर सहपाठी गर्व महसूस कर रहा है। उनके एक अन्य साथी दलपतसिंह जो कि जयपुर में निवास करते हैं, ने भी स्कूली दिनों की याद ताजा की। बोर्ड परीक्षाओं के बाद विषय बदल गए तो सम्पर्क भी आगे नहीं रहा। लेकिन राज्यसभा सांसद बनने के बाद फिर से सम्पर्क में आए। वैष्णव मारवाड़ के लिए हमेशा सोचते रहे हैं। एमबीएम इंजीयिनिरंग कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वे आइआइटी कानपुर चले गए।
मोदी की शुरू से नजर
ओडिशा कैडर के आइएएस अधिकारी रहते हुए वैष्णव को बालासोर का डीएम बनाया गया। उन दिनों ओडिशा में भयंकर समुद्री तूफान आया था। हजारों लोग की मौत हुई थी। बालासोर के डीएम रहते हुए राहत और बचाव के काम पर उनकी बड़ी तारीफ हुई। जब नवीन पटनायक ओडिशा के सीएम बने तो उन्हें कटक का कलक्टर बनाया गया। जब पीएमओ में तैनात हुए तभी से वाजपेयी व मोदी के सम्पर्क में आए। यह सम्पर्क मोदी के गुजरात के सीएम रहते भी बना रहा। दो साल पहले उड़ीसा कैडर से ही उनको राज्यसभा भेजा गया।
पाली मूल के निवासी
अश्विनी वैष्णव पाली जिले के जीवंद कला गांव के निवासी है। एडवोकेट दाऊलाल वैष्णव के पुत्र अश्विनी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई जोधपुर की सेंट एंथनी स्कूल और महेश स्कूल (इंग्लिश मीडियम) से की और फिर एमबीएम से इंजीनियरिंग में टॉपर रहे। वर्ष 1986 में 11वीं बोर्ड परीक्षा में भी वे प्रदेश के टॉपर रहे थे। तत्पश्चात, आइआइटी कानपुर से एम टेक कर सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी और इसमें उन्होंने ऑल इंडिया की 26वीं रैंक हासिल की। वर्ष 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निजी सचिव का पद छोड़ वे गोवा के मुरुमगांव पोर्ट ट्रस्ट के डिप्टी चेयरमैन रहे। वर्ष 2008 में स्टडी लीव लेकर वार्टन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए की। वहां से लौटने के बाद वर्ष 2011 में सिविल सर्विसेज से त्याग पत्र देकर जीई केपिटल व सीमेंस जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में भी मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर रहे।
घर पर खुशी
रातानाडा स्थित उनके निवास पर खुशी का माहौल रहा। पिता दाऊउलाल बताते हैं कि जो काम उन्हें दिया जाता वह पूरी लगन से करते। स्कूल-कॉलेज में टॉपर रहे। जब कटक में कलक्टर थे तो तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सम्पर्क में आए और उसके बाद राजनीतिक सम्पर्क कुछ हद तक बढ़ा। यहां उनके माता-पिता और भाई-भाभी सहित पूरे परिवार ने खुशी व्यक्त की।
Source: Jodhpur