बाड़मेर
कमलेश प्रजापत एनकाउंटर की दिल्ली सीबीआइ की टीम लगातार तीन दिन से जांच में जुटी है। टीम के सदस्य प्रकरण से जुड़े साक्ष्य व सबूत जुटाकर मामले की कड़ी से कड़ी जोड़ रही है। इधर, प्रजापत समाज व परिजनों ने सीबीआई कार्यालय दिल्ली के नाम एक मांग भेजा है। जिसमें राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी सहित बाड़मेर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए है।
मृतक कमलेश के भाई भैराराम ने मांग पत्र में आरोप लगाया है कि कमलेश मैसर्स केके इंटरप्राइजेज फर्म में वर्ष-2014 में कार्य प्रारंभ किया। आरोप है कि फर्म को पचपदरा रिफाइनरी में कार्य मिलने से राजस्व मंत्री व उनके भाई मनीष से व्यापारिक प्रतिस्पद्र्धा हो गई थी। आरोप है कि कमलेश ने सांडेराव में पुलिस पर फायरिंग के मामले में नाम काटने के लिए मनीष को 10 लाख रुपए दिए थे। सांडेराव, बाड़मेर पुलिस पर भी आरोप लगाए है कि वो लगातार कमलेश के संपर्क में थे और कमलेश के साथ उनकी शराब पार्टी होती रहती थी। इसका खुलासा कमलेश के सोशल मीडिया अकाउंट से हुई कॉल डिटेल से लग सकता है। इसके अलावा कमलेश की एक महिला मित्र पर कमलेश से जुड़ी सूचनाएं पुलिस को देने के आरोप लगाए है। रविवार को मृतक कमलेश का भाई भैराराम, अधिवक्ता हनुमानराम, बलराम प्रजापत, रावताराम, जोगेंद्र कुमार सहित कई लोग सीबीआई टीम से मिलने के लिए सर्किट हाउस पहुंचे।
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यह लगाए है मांग पत्र में आरोप
– सांडेराव प्रकरण कमलेश के भाई भेराराम का आरोप है कि सांडेराव पुलिस पर गलत रूप से फंसाए जाने पर कमलेश ने पाली पुलिस से बात की थी। इस पर यहां से पुलिसकर्मियों ने कहा कि राजस्व मंत्री हरीश चौधरी कह देंगे तो मुकदमे में नाम हटा देंगे जब कमलेश मंत्री से मिला तो उनके भाई मनीष से मिलकर बात करने को कहा। इस पर मनीष ने कमलेश से 10 लाख रुपए लिए कि मामले में नाम हट जाएगा। इसके बाद सांडेराव पुलिस दबाव बना रही वापिस मिला तो मंत्री ने उसे वहां से निकाल दिया। इस पर मनीष से 10 लाख रुपए मांगे और कमलेश ने मनीष को धमकी देकर कहा कि रुपए दे देना नहीं तो मार दूंगा, मनीष ने कहा कि तुम जिंदा रहोगे से मारोगे।
– प्रकरण में डीएसपी सुमेरपुर से कमलेश की कॉलिंग हुई थी। कमलेश ने 23 अप्रैल की सांडेराव आने का बोला था। डीएसपी के लिए मांगी गई राशि भी एकत्रित करके रख ली थी। डीएसपी कमलेश की व्हाट्सएप कॉल डिटेल को जांच करवाने की मांग की है। सांडे में दर्ज 10/2021 व 30/2021 एफआईआर में कमलेश नामजद आरोपी नहीं था। इसके चावजूद फंसाने के लिए सुमेरपुर डीएसपी दबाव दे रहा था।
– पुलिस कांस्टेबल पुरखाराम कमलेश के घर आता रहता रहने वाली एक महिला मित्र की कमलेश था। कई अन्य पुलिसकर्मी भी कमलेश के घर आकर पार्टियां करते थे। गाडिय़ों की जरूरत होने पर कमलेश से मांग कर ले जाते थे। कमलेश का उठना-बैठना पुलिस वालों के साथ ही था, वह कभी फरार नहीं था।
– एनकाउंटर से पहले एफआईआर आरोप है कि 136/2021 दर्ज एफआईआर की प्रमाणित प्रति न्यायालय में प्रस्तुत होने की तिथि 22 अप्रैल को शाम जबकि 22 अप्रैल की रात 9.30 बजे एनकाउंटर की घटना घटित हुई है। जबकि एफआईआर में दर्ज तिथि 28 अप्रैल 12.46 बजे दर्शाया गया है। ऐसे में दर्ज होने से पहले एफआईआर कैसे प्रस्तुत सकती है। आरोप है कि कमलेश का फर्जी एनकाउंटर बताकर हत्या की गई।
– बाड़मेर पुलिस ने 22 अप्रेल रात्री में करीब 9.15 बजे लगभग 70 व्यक्तियों का दल बनाकर हथियारबद्ध होकर घेराव किया तथा गिरफ्तार करने के लिए मौके पर कोई एनाउन्स (घोषणा) नहीं किया, जिसके सम्बन्ध में घर के चारो तरफ निवास करने वाले पड़ौसियों से पूछताछ कर सच्चाई का पत्ता लगाने का निवेदन है तथा इसके सम्बन्ध में पड़ौसी के घर के बाहर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे व कमलेश के घर के बाहर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरो के रिकार्ड की जांच कर सच्चाई का पता लगाने का निवेदन हैं।
– एनकाउन्टर की घटना कमलेश के पड़ौसी के घर के बाहर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे में कैद हो गयी थी जो 24 व 25 अप्रैल को वायरल होने पर पीडि़त परिवार एवं सर्व समाज ने बाडमेर पुलिस को कानूनी कार्यवाही करने के ज्ञापन दिए, लेकिन कोई जांच नहीं की गई। कमलेश की पत्नी जशोदा ने लिखित परिवाद जिला जज बालोतरा को पेश किया, जिसमें भी कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की हैं।
– पुलिस जाब्ता को कमलेश के घर का विद्युत कनेक्शन काटने की क्या आवश्यकता हुई? इस सम्बन्ध में जांच की जाएं।
– कमलेश की कार के सामने से पुलिस ने कोई गोली नहीं चलाई जो सी.सी.टी.वी. कैमरे के वीडियो से स्पष्ट हैं, पुलिस व सादी वर्दी वाले कमलेश की खड़ी वाहन को लाठीयों से वार करते शीशे तोड़ रहे है, फिर पुलिस ने कमलेश की खड़ी वाहन के पिछले टायर पर फायर कर फोड़ दिया था, उसके बाद कमलेश पर पुलिस ने गोलिया क्यों चलाई, उसे जिन्दा क्यों नहीं गिरफ्तार किया? यह जांच की जाएं।
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Source: Barmer News