बाड़मेर. रेगिस्तान में टिड्डी का खतरा अब बढ़ रहा है। हालांकि एफएओ ने पूर्वानुमान में यह माना है कि अभी टिड्डी कहीं दिखी नहीं है। लेकिन यह भी है कि अब टिड्डी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चुकी है, ऐसे में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली मानसूनी बरसात के साथ टिड्डी भी दस्तक दे सकती है। इसलिए अलर्ट रहना होगा।
ऐसा माना जाता है कि मौसम में नमी के साथ ही टिड्डी का खतरा बढ़ता है। अभी मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं हुई है। इसलिए टिड्डी अभी पूरे भारत में कहीं नहीं दिखी है। सर्वे में जून के दूसरे पखवाड़े में किए गए सर्वे में रेगिस्तानी टिड्डी से मुक्त रहा है। इस दौरान 338 अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों में सर्वे किया गया था। जिसमें टिड्डी का खतरा कहीं नहीं दिखा।
पिछले दो सालों में मई में आ गई थी आफत
इस बार टिड्डी से राहत कही जा सकती है। जबकि पिछले दो सालों में मई महीने में टिड्डी आ गई थी। लगातार बड़े टिड्डी हमले हुए और गांवों से शहरों तक टिड्डी दल पहुंचे थे। जून-जुलाई में सबसे अधिक टिड्डी ने किसानों को प्रभावित किया। बोई गई फसल को नष्ट कर दिया। नियंत्रण के लिए भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए थे। लेकिन अब तक जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है और एफएओ के अपडेट अनुसार दक्षिण पश्चिमी एशिया आयोग क्षेत्र में टिड्डी को लेकर स्थिति शांत बताई गई है।
कड़ी रखी जाएगी निगरानी
रेगिस्तानी टिड्डी नजर नहीं आने पर भी गहन सर्वे में निगरानी और कड़ी की जाएगी। आशंका इस बात की है कि अब परिस्थितियों को अनुकूल बताया गया है। जबकि जून के पहले पखवाड़े में टिड्डी के रेगिस्तान में पनपने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं थी। अब मानसून के साथ ही रेगिस्तान में नमी बढ़ेगी, इसलिए टिड्डी प्रजनन के लिए परिस्थितियां बेहतर होगी। वहीं अनुमानित वर्षा मानचित्र में बाड़मेर सहित रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति हरी मिली है।
Source: Barmer News