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बाड़मेर. स्माईल-३ और आओ घर से सीखे कार्यक्रम के चलते गुरुजी तो घर पहुंच रहे लेकिन विद्यार्थियों के पास किताबें ही नहीं है फिर होमवर्क दें भी तो कैसे और बच्चे गृहकार्य करें तो किससे?

हालांकि मोबाइल के मार्फत सोशल मीडिया ग्रुप पर शिक्षण का विकल्प तो है लेकिन गांवों में अधिकांश परिवारों में एंड्रोइड मोबाइल नहीं होने से बच्चों को घर जाकर ही गृहकार्य देना पड़ रहा है।

किताबों की कमी पढ़ाई में बाधा डाल रही है। इसके चलते करीब पौने पांच लाख विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का कोरोना के चलते शिक्षण कार्य प्रभावित न हो इसलिए सरकार ने शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर पढ़ाने के निर्देश दे रखे हैं।

आदेशों की पालना में शिक्षक विद्याथर््िायों के घर तो पहुंच रहे हैं, लेकिन निशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण नहीं होने से पढ़ाने में दिक्कत आ रही है।

गौरतलब है कि इस सत्र से कक्षा 10 व 12 में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम परिवर्तन होने के कारण सभी विद्यार्थियों को मिलेगी नई पाठ्यपुस्तकें मिलनी है। वहीं, अन्य कक्षाओं में 50 फीसदी पुरानी तो 50 फीसदी नई किताबें मिलेगी। कक्षा 1 से 3 तक प्रतिवर्ष नई किताबें वितरित होती है। अमूमन सत्र शुरू होते ही स्कू  लों में किताबें पहुंच जाती है, लेकिन इस बार स्कू  ल संचालित नहीं हो रहे, इस पर अभी तक किताबें स्कू  लों में नहीं पहुंची है। इसके चलते विद्यार्थियों को निशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण नहीं हुआ है जबकि स्माईल 3 व आओ घर से सीखें कार्यक्रम के तहत शिक्षक घर-घर जाकर विद्यार्थियों को गृहकार्य दे रहे हैं। किताबों से ही पढ़ाई- सरकार ने स्माईल-३ के तहत मोबाइल पर सोशल मीडिया ग्रुप बना शिक्षकों से विषयवार वीडियो अपलोड कर पढ़ाने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन गांवों में अधिकांश परिजन के पास एंड्रायड मोबाइल या लैपटॉप है ही नहीं, इस पर किताबों से ही पढ़ाई की जा सकती है। निशुल्क पाठ्यपुस्तकें अभी तक नहीं मिलने से दिक्कत आ रही है।

तीस लाख से अधिक पुस्तकों को होगा वितरण- जानकारी के अनुसार इस शिक्षा सत्र में ३०,१५, ८९९ निशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण होना है। इसके लिए पुस्तकें ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंच चुकी है, लेकिन आगे की प्रक्रिया अभी रुकी हुई है। इसके चलते अब तक पीईईओ तक किताबें नहीं पहुंची है। पीईईओ कार्यालय से पुस्तकें स्कू  ल स्तर तक पहुंचेगी जहां से बच्चों को वितरण होना है। हर सप्ताह मिलता होमवर्क- विद्यार्थियों के कक्षावार सोशल मीडिया गु्रप बने हुए हैं। जिसमें प्रतिदिन ऑनलाइन स्टडी के लिउ यूट्यूब लिंक आदि मेटेरियल उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके अलावा शिक्षावाणी व शिक्षा दर्शन कार्यक्रम के तहत रेडियो व टीवी में भी पढ़ाई का कार्यक्रम चल रहा है।

उसके आधार पर साप्ताहिक होमवर्क दिया जाता है। कक्षा 1 से 5 तक सप्ताह में एक बार व कक्षा 6 से 12 तक सप्ताह में दो बार सभी विषयों का गृहकार्य दिया जा रहा है। जिन विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड फोन उपलब्ध नहीं है उनके घर शिक्षक विद्यालय से प्रिंट निकालकर ले जाकर गृहकार्य करवा रहे हैं। साथ सप्ताह में एक दिन शनिवार को साप्ताहिक क्विज भी ऑनलाइन आती है लेकिन बिना लैपटॉप या मोबाइल के उसको भी शिक्षक प्रिंट निकालकर विद्यालयों तक पहुंचा रहे हैं।

शीघ्र मिले पाठ्यपुस्तकें- शिक्षण सत्र शुरू हो गया है ऐसे में शीघ्र ही विद्यालयों तक नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें पहुंचे जिससे कि विद्यार्थियों को वितरण किया जा सके। इससे विद्यार्थियों को पढऩे के साथ होमवर्क करने में भी सहायता मिलेगी।- बसन्तकुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा

एंड्रॉयड फोन का अभाव- ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड फोन के अभाव में होमवर्क का एकमात्र सहारा पाठ्यपुस्तकें ही है। ऐसे में अभी तक पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलने से समस्या हो रही है। – ईश्वरसिंह गंगासरा, जिला उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ

टेंडर कर रहे, जल्द होगी वितरित- हमने निशुल्क पाठ्यपुस्तकों के वितरण को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। जल्द ही पाठ्यपुस्तकों का वितरण होगा। इस बार पाठ्यपुस्तकें समय पर आ चुकी है।- नरसिंग जांगिड़, सहायक निदेशक मुख्य जिा शिक्षा अधिकारी कार्यालय बाड़मेर

Source: Barmer News

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