जयकुमार भाटी/ जोधपुर. शहर में अनलॉक 4.0 की गाइडलाइन के अनुसार खेल मैदान व जिम तक खुल गए हैं। ऐसे में तरणताल नहीं खुलने से तैराकों की बिना पानी के मछली जैसी हालत हो रही हैं। शहर में एक ओर तरणताल बंद पड़े है, वहीं दूसरी ओर निजी रिसोर्ट में स्वीमिंगपूल में लोग एन्जॉय करने जा रहे हैं। वर्तमान में रिसोर्ट में दोस्तों के साथ नहाने के दौरान युवक की मौत होने जैसी घटना घट चुकी हैं। जबकि सरकारी तरणताल बंद होने से तैराक पेरशानी का सामना कर रहे हैं।
18 महिनों से पानी में नहीं उतरे
राष्ट्रीय तैराक महिम वैष्णव ने बताया कि तरणताल के बिना प्रैक्टिस संभव नहीं हैं। पानी में उतरे 18 महिने हो गए हैं। ऐसे में आगामी प्रतियोगिता की तैयारी करना मुश्किल हो रहा हैं।
बढऩे लगा वजन
राज्य की सर्वश्रेष्ठ तैराक बनने का गौरव हासिल करने वाली योग्या सिंह ने बताया कि कोरोना की वजह से तरणताल बंद होने का सबसे ज्यादा नुकसान तैराकों को हुआ हैं। तरणताल बंद होने के कारण नियमित अभ्यास नहीं हो पा रहा है, जिससे मेरा वजन भी काफी बढ़ गया है। यदि जल्द ही तरणताल नहीं खोले गए तो आने वाली प्रतियोगिताओं में पूर्व का प्रदर्शन भी दोहराना मुश्किल होगा।
खिलाडि़यों के लिए खुले तरणताल
राष्ट्रीय पैरा तैराकी में पदक जीतने वाले पिंटू गहलोत ने बताया कि इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा नुकसान स्विमिंग प्रैक्टिस करने वाले तैराकों को हुआ हैं। तैराकों के लिए मैदानी प्रैक्टिस से ज्यादा पानी में प्रैक्टिस की जरूरत हैं। ऐसे में सरकार से अनुरोध है कि तैराकों के लिए कोच की निगरानी में पूल खुलने चाहिए। जिससे आगामी प्रतियोगिता में प्रदेश के लिए मेडल जीत कर ला सकें।
Source: Jodhpur