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दिलीप दवे बाड़मेर. कोरोनाकाल में सरकार का घर में सीखे कार्यक्रम विद्यालयों की कंटीजेंसी राशि पर भारी पड़ रहा है।

हर सप्ताह होमवर्क और क्वीज प्रतियोगिता के लिए बच्चों को फोटोकॉपी करवा कर देनी पड़ रही है। एेसे में सौ के नामांकन वाले बच्चों के स्कू  ल में हर सप्ताह हजार रुपए सिर्फ फोटोकॉपी के लिए खर्च हो रहे हैं।

इस पर कंटीजेंसी राशि आगामी चार-छह माह स्कू  ल नहीं खुली और घर में सीखे कार्यक्रम चला तो उसी में खर्च हो जाएगी। इस पर शेष कार्यों पर किस मद से राशि व्यय हो सकेगी।

कोरोना के चलते विद्यालय इन दिनों बंद है। एेसे में सरकार ने बच्चों का भविष्य खराब नहीं हो इसलिए स्माईल- ३ व घर से सीखे कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। स्माईल-३ में जहां मोबाइल पर सोशल मीडिया ग्रुप बना कर बच्चों के अभिभावकों को हर सप्ताह होमवर्क भेजा जा रहा है तो घर से सीखे कार्यक्रम के तहत शिक्षक घरों में पहुंच कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। योजना के तहत पहली से पांचवीं की कक्षाओं के विद्यार्थियों को हर सप्ताह एक दिन व छठीं से बारहवीं तक की कक्षाओं में दो दिन गृहकार्य दिया जाता है। वहीं, हर शनिवार को क्वीज प्रतियोगिता भी होती है। जिले में हजारों अभिभावक एेसे हैं जिनके पास एंड्रोयड मोबाइल नहीं है तो सैकड़ों ढाणियां एेसी हैं जहां पर नेटवर्क नहीं है।

इस पर अध्यापकों को घर से सीखे कार्यक्रम के तहत घर जाकर गृहकार्य देना पड़ रहा है। इसमें सरकार ने अधिक बच्चे होने पर फोटोकॉपी करवा कर बच्चों को बांटने के निर्देश दिए हैं। यह फोटोकॉपी का खर्चा शिक्षकों के लिए परेशानी बन गया है, क्योंकि फोटोकॉपी का खर्चा कंटीजेंसी राशि से खर्च करना है जो ज्यादा होने से पूरे साल का बजट गड़बड़ा रहा है।

हर सप्ताह हजार रुपए का खर्च, छह माह में कंटीजेंसी राशि पूरी- शिक्षकों के अनुसार हर सप्ताह छोटी कक्षाओं के अनुसार चार विषय का होमवर्क देते हैं तो भी सौ विद्यार्थियों पर चार सौ रुपए खर्च होंगे, वहीं बड़ी कक्षाओं में यह राशि कम से कम हर सप्ताह आठ सौ हो जाएगी। क्वीज प्रतियोगिता के प्रश्नों की फोटोकॉपी का खर्चा मिला कम से कम एक हजार रुपए हो रहा है। एेसे में हर माह चार से पांच हजार रुपए फोटोकॉपी पर ही हो जाएंगे। जबकि कंटीजेंसी राशि पूरे साल की पच्चीस हजार रुपए मिलती है जो छह माह कार्यक्रम चला तो पूरी खर्च हो जाएगी।

क्या है कंटीजेंसी राशि- सरकारी विद्यालयों में पूरे साल विभिन्न खर्च के लिए सरकार पच्चीस से पचास हजार रुपए की राशि देती है। इस राशि से विद्यालयों में साफ-सफाई, रंग-रोगन, स्कू  ल बिजली व पानी के बिल, विद्युत उपकरण यथा पंखे, ट्यूबलाइट सहित अन्य कार्यों पर खर्च करनी होती है। इस बार फोटोकॉपी करवा कर होमवर्क देने से यह राशि उसी पर खर्च हो जाएगी तो फिर अन्य खर्च कैसे करेंगे, यह चिंता स्कू  ल प्रबंधन को है।

जिले में करीब पौने छह लाख बच्चे, आधों को मिल रहा होमवर्क- जिले में कक्षा पहली से बारहवीं तक ५ लाख ७१ हजार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन विद्यार्थियों में से आधे विद्यार्थी एेसे हैं जिनको शिक्षक घर जाकर गृहकार्य दे रहे हैं। हर कक्षा में बीस-तीस विद्यार्थी होने व छितराई ढाणियों में रहने पर शिक्षक उनको गृहकार्य फोटोकॉपी के माध्यम से दे रहे हैं। ये फोटोकॉपी बाद में स्कू  ल में फाइल बना कर जमा की जाएगी।

हर सप्ताह हजार रुपए तक खर्च- घर से सीखे कार्यक्रम के तहत होमवर्क के लिए फोटोकॉपी करवा कर देनी पड़ रही है। हर सप्ताह गृहकार्य व क्वीज की फोटोकॉपी पर हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। एेसे में चार-पांच माह में ही कंटीजेंसी राशि खर्च हो जाएगी।- छगनसिंह, प्रधानाध्यापक

दस दिन में तीस हजार कॉपियां की- पिछले दस दिन में शिक्षक मेरे से तीस हजार फोटोकॉपी करवा कर लेकर गए हैं। औसतन तीन-चार हजार कॉपियां हो रही है। प्रति कॉपी दो रुपए लगते हैं।- दिनेश, फोटो कॉपी दुकानदार

कंटीजेंसी राशि से होगी खर्च- फोटोकॉपी पर खर्च होने वाली कंटीजेंसी राशि में से खर्च होगी।– अमरदान चारण, एसीबीईओ शिव बाड़मेर

Source: Barmer News

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