भोपालगढ़ (जोधपुर). कस्बे सहित क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में इस बार मानसून की बेरुखी के चलते जहां एक ओर आमजन भीषण गर्मी व उमस से बेजा परेशान हैं।
तो वहीं इसके साथ-साथ ग्रामीण इलाकों के खेत-खलिहान भी अभी तक सूखे व सूने पड़े हैं। ऐसे में मानसून का इंतजार किसानों के लिए खासा लंबा होता जा रहा है। वहीं धीरे-धीरे सावणी फसलों एवं खासकर बाजरा आदि की बुवाई का समय ही निकलता जा रहा है और इसके चलते धरतीपुत्र किसानों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें खिंचने लगी है।
गौरतलब है कि जुलाई का महीना आधा बीत चुका है, लेकिन अभी तक भोपालगढ़ क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में बुवाई लाइक ढंग की बारिश एक बार भी नहीं हो पाई है। इसकी वजह से धरतीपुत्रों के चेहरों से रौनक ही गायब होने लगी है और आमजन को भयंकर गर्मी व उमस ने बेहाल कर रखा है।
वैसे तो आमतौर पर इन दिनों में किसान न केवल सावणी फसलों की बुवाई पूरी कर चुके होते हैं, बल्कि ज्यादातर खेतों में बाजरा आदि की फसलें बढ़वार लेकर निदाण करने लायक हो चुकी होती है। लेकिन इस बार बारिश के अभाव में फसलों में निदाण करना तो दूर अभी तक ज्यादातर इलाकों में बुवाई का काम भी शुरू नहीं हो पाया है।
वहीं दूसरी ओर कुछ गांवों में महीने भर पहले हुई मानसून पूर्व की बारिश के बाद बाजरा व मूंग आदि की बुवाई तो कर दी गई, लेकिन बाद में बारिश नहीं होने से यह फसलें भी झुलसने लगी है। साथ ही मानसून पूर्व की बारिश से आगत बुवाई कर अच्छी फसल लेने की उम्मीदें पालने वाले किसानों की खेतों में फसलों के रूप में खड़ी सारी उम्मीदें ही झुलस रही है।
बीत जाएगा बाजरे का समय
क्षेत्र के किसानों ने इसको लेकर पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि आषाढ़ का महिना लगभग बीतने को है और इसके साथ ही अब धीरे-धीरे बाजरे की बुवाई का समय भी लगभग बीतता जा रहा है और इसके अलावा अन्य सावणी फसलों की बुवाई के लिए भी काफी देरी होने लगी है।
वैसे बुवाई के लिए ज्येष्ठ माह के शुरुआत से लेकर इसके आखिरी दिनों तक का समय सबसे उपयुक्त होता है, लेकिन बारिश के अभाव में इस बार तो इन दिनों में सावणी फसलों की बुवाई की ‘बोहनीÓ ही नहीं हुई और अब इसमें जबर देरी हो रही है। किसानों के मुताबिक सप्ताह भर में बरसात नहीं हुई तो बाजरे की बुवाई का तो काम ही नहीं रहेगा।
Source: Jodhpur