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बाड़मेर. बारिश होने से पहले ही बीज व खेत जुताई के लिए किसान ऋणी हो गए। करीब दो लाख किसानों ने सहकारी समितियों के मार्फत ६५० करोड़ का कर्ज इस उम्मीद से लिया कि मानसून आने वाला है और खरीफ की फसलें बढि़या हुई ते कर्ज चुक जाएगा तथा पूरे साल घर-परिवार का खर्चा भी निकल जाएगा।

किसानों की यह उम्मीद हर दिन निराशा में बदल रही है, क्योंकि मानसून ने थार पर अभी तक मेहरबानी नहीं दिखाई है। सीमावर्ती जिला बाड़मेर कृषि प्रधान है। यहां की खेती बारिश पर निर्भर है। एेसे में पूरे साल किसान मानसून के सक्रिय होने का इंतजार करते हैं।

अमूमन मानसून जून-जुलाई में दस्तक देता है जिस पर यहां करीब १९ लाख हैक्टेयर में बुवाई होती है। बुवाई से पहले किसान ग्राम सेवा सहकारी समितियों के मार्फत बीज, खाद व खेतों की जुताई के लिए ऋण लेते हैंं जो अच्छी फसल होने पर वापिस चुकाते हैं। इस बार भी किसानों ने मानसून आने से पहले मई-जून में सहकारी समितियों से ऋण लिया।

जिले में १ लाख ९५ हजार किसानों ने ६५० करोड़ रुपए का ऋण लिया। उन्हें उम्मीद थी कि मानसून में इस बार बढि़या बारिश होगी लेकिन एेसा नहीं हुआ है। अब जबकि जुलाई का आखिरी सप्ताह नजदीक आ रहा है और जिले को एक बढि़या बारिश का इंतजार ही है।

१९ लाख का लक्ष्य, अब तक चार लाख हैक्टेयर मेें बुवाई- जिले में खरीफ की बुवाई का लक्ष्य करीब उन्नीस लाख हैक्टेयर है। मानूसन सक्रिय नहीं होने के कारण अब तक मात्र चार लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई है। गौरतलब है कि सर्वाधिक बुवाई बाजरा की करीब नौ लाख हैक्टेयर में होनी थी, लेकिन बारिश नहीं होने से बाजरा की बुवाई प्रभावित हुई है। १५ जुलाई के बाद बाजरा की बुवाई कम होने की उम्मीद रहती है। बुवाई होने पर भी उत्पादन कम होने की आशंका रहेगी। वहीं, ग्वार करीब चार लाख हैक्टेयर, मोठ साढ़े तीन लाख हैक्टेयर, मूंग करीब एक लाख हैक्टेयर में बोया जाता है। जुताई भी पड़ रही गले- हालांकि जिले में कुछ किसानों को छोड़ शेष ने पन्दह दिन पहले बारिश होने पर बुवाई की थी। इसके बाद बरिश होने पर फसलें तैयार होने का इंतजार था, लेकिन अब तक बारिश नहीं होने से खेतों की जुताई व बीज के रुपए भी किसानों के गले पड़ते नजर आ रह हैं।

बारिश का इंतजार- जिले में भरपूर बारिश का इंतजार है। हालांकि एक-दो बारिश हुई है, लेकिन अपर्याप्त होने पर अधिकांश किसानों ने जुताई नहीं की है। अभी भी बारिश नहीं होने से किसान चिंतित है।– गोपाराम पालीवाल, पूर्व सरपंच तिलवाड़ा

जल्द बारिश नहीं हुई तो होगी निराशा- एक-दो दिन में तेज बारिश नहीं हुई तो अधिकांश गांवों में बाजरा की बुवाई नहीं हो पाएगी। अन्य फसलों की बुवाई भी प्रभावित होगी। ऋण लेकर खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है।– गोकलराम चौधरी, किसान आराबा

बाजरा की बुवाई प्रभावित– बारिश में देरी के चलते बाजरा की बुवाई प्रभावित हुई है। अब बाजरा की बुवाई किसानों के लिए कम फायदेमंद है। हालांकि चारे के रूप में उपज हो सकती है। बाकी फसलों की बुवाई तो अभी होगी लेकिन एक-दो दिन मेें पर्याप्त बारिश होने के बाद कुछ दिनों से फिर बारिश होने पर फायदा होगा।– डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक, केवीके गुड़ामालानी

Source: Barmer News

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