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जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान राज्य और अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) नियम 1999 को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार और राजस्थान लोक सेवा आयोग से जवाब तलब किया है। न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ में याचिकाकर्ता गौरव बेतला की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर ने कहा कि नियम 1999 में राज्य और अधीनस्थ सेवाओं के लिए की गई भर्ती में विज्ञापित सीटें खाली न रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए आरक्षित सूची तैयार करने का प्रावधान नहीं है। यदि आरक्षित सूची तैयार की जाती है तो चयनित उम्मीदवार के सेवाओं में नहीं आने या अपात्र पाए जाने पर रिक्तियों को आरक्षित सूची से भरा जा सकता है। माथुर ने कहा कि खंडपीठ ने 2016 में अपने एक फैसले में कहा था कि नियम 1999 की मौजूदा योजना जांच के योग्य हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से विचार किया जाना चाहिए कि विज्ञापित रिक्तियों को जितना संभव हो उतना भरा जाए और उसके लिए उचित तरीका अपनाया जाए। ऐसा करने पर कठिन चयन की प्रक्रिया से गुजरने वाले कतार में खड़े अभ्यर्थियों के चयन पर विचार संभव होगा। कोर्ट ने उम्मीद जताई थी कि राज्य नियम 1999 की मौजूदा योजना के और प्रभावी कार्यान्वयन कि दिशा में सोचेगा, ताकि विज्ञापित पद हरसंभव भरे जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन या आरक्षित सूची तैयार करने का सचेत निर्णय नहीं लिया है।

Source: Jodhpur

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