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अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. दिवाली से पहले उम्मेद अस्पताल में अप्रशिक्षित लैब टेक्निशियन को प्लेटलेट्स निकालने के लिए वीडियो कॉलिंग का सहारा लेना पड़ गया। अब एमडीएम अस्पताल में सोमवार को एक डोनर की नब्ज अस्थाई व अप्रशिक्षित लैब टेक्निशियन को नहीं मिली। डोनर को पहले सिंगल डोनर प्लेटलेट्स देने के लिए इंतजार करना पड़ा और बाद में नाड़ी नहीं मिलने की समस्या से जूझना पड़ा। इससे परेशान इमरजेंसी में भर्ती मरीज के परिजन डोनर को निजी ब्लड बैंक ले गए।

वहां अस्पताल से दो हजार रुपए ज्यादा लेकर लैब टेक्निशियन ने नाड़ी खोज निकाली। प्राइवेट ब्लड बैंक साढ़े नौ हजार रुपए प्लेटलेट्स के लेती है, वहीं सरकारी ब्लड बैंक में साढ़े सात हजार रुपए किट का खर्चा आता है। इन अप्रशिक्षित लैब टेक्निशियन के कारण परिजनों को अपनी मरीजों को बचाने के लिए जेबें ढीली करनी पड़ रही है। ये समस्या अप्रशिक्षित एलटी में आत्मविश्वास की कमी के कारण सामने आ रही है।

फलोदी निवासी महेन्द्र ने बताया कि उनकी पत्नी भवानी (28) डेंगू के कारण एमडीएम अस्पताल में भर्ती है। उनकी प्लेटलेट्स कम होने पर शहर के रक्तदाता संगठन से संपर्क किया। एक डोनर आया तो एलटी ने उस डोनर की दो-तीन बार नाड़ी तलाशी, लेकिन नहीं मिली। इसके बाद परिजन डोनर अमित श्रॉफ को निजी ब्लड बैंक ले गए। वहां नाड़ी मिल गई। इसी ब्लड बैंक में एक डोनर अजय भाटी के दोनों हाथों में नाड़ी ढूंढऩे के लिए निडल लगा दी गई, ताकि एक में नाड़ी न मिले तो दूसरे से प्लेटलेट्स निकाली जाए।

इनका कहना है…
‘कोई बाहर से प्लेटलेट्स लेकर आ जाए तो मना नहीं करते। कई बार डोनर की नब्ज मुश्किल से मिलती है। आज के घटनाक्रम के बारे में पता करके बताता हूं।
– डॉ. महेन्द्र कुमार आसेरी,अधीक्षक, एमडीएमएच

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Source: Jodhpur

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