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जोधपुर. रक्षा मंत्रालय ने रेलवे को अजमेर के पास स्थित नसीराबाद छावनी के भीतर से इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए 132 केवी की ट्रांसमिशन लाइन गुजारने की अनुमति दे दी है। इससे अब दिल्ली-उदयपुर इलेक्ट्रिक रूट का पूर्णतया उपयोग हो पाएगा। इलेक्ट्रिक इंजन फुल क्षमता के साथ दौड़ेंगे और एक ही समय में कई गाडिय़ों का संचालन संभव हो पाएगा। इससे यात्रा समय में भी कमी आएगी।
रेलवे मंत्रालय ने दिल्ली-अजमेर-उदयपुर रुट का सालों पहले इलेक्ट्रिफिकेशन कर दिया था। इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए हर 40 से 50 किलोमीटर पर एक ट्रांसमिशन सब स्टेशन (टीएसएस) होता है। दिल्ली-अजमेर तक ट्रेन तेजी से आती है लेकिन आगे उदयपुर रुट पर उसकी गति धीमी हो जाती है क्योंकि अजमेर के बाद टीएसएस सीधा 100 किलोमीटर दूर सरेरी पर है। ऐसे में ट्रेन को पूरी बिजली नहीं मिल पाती है। साथ ही एक से अधिक ट्रेनों का संचालन भी मुश्किल से हो रहा है। कई बार इलेक्ट्रिक इंजन हटाकर डीजल इंजन लगाकर ट्रेन को भेजना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में नसीराबाद छावनी में 14.11 एकड़ रक्षा भूमि रेल मंत्रालय को हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी है। अजमेर-उदयपुर रेलवे के विद्युतीकरण के लिए यह भूमि 132 केवी ओवरहेड इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन लाइन बनाने के लिए दी गई है जो कि 132 केवी जीएसएस नसीराबाद को 132 रेलवे टीएसएस नसीराबाद से जोड़ेगी। यह भूमि लाइसेंस व लीज के आधार पर दी गई है।

9 टावर व 2 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन
रेलवे को 9 टावरों के निर्माण के लिए लीज आधार पर और 2133 मीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन के लिए लाइसेंस आधार पर भूमि दी जाएगी।। भूमि का स्वामित्व रक्षा मंत्रालय पास ही रहेगा।
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‘परियोजना के लिए जल्द ही रेलवे के साथ लीज डीड और लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद काम शुरू करने के लिए रक्षा भूमि को रेलवे को सौंप दिया जाएगा।
अभिनव सिंह, रक्षा संपदा अधिकारी जोधपुर वृत्त

Source: Jodhpur

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