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NAND KISHORE SARASWAT

जोधपुर. भगवान कृष्ण के प्राकट्योत्सव जन्माष्टमी पर्व 30 अगस्त को इस बार कई वर्षों के बाद दुर्लभ संयोग बना रहा है। श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। शास्त्रों में भाद्र कृष्ण पक्ष, अद्र्धरात्रिकालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना दुर्लभ योग माना गया है। इस बार ये सभी योग जन्माष्टमी पर रहेंगे। इसके साथ ही जन्माष्टमी पर सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा।

जन्माष्टमी को सोमवार सुबह से अष्टमी तिथि शुरू होकर रात में 12 बजे बाद तक अष्टमी तिथि व्याप्त रहेगी। इसी रात नवमी तिथि भी लग जा रही है। चंद्रमा वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को मौजूद है। ऐसे में इन संयोगों को लेकर जानकार इस बार जन्माष्टमी को बहुत ही उत्तम योग मान रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा की स्थिति पर अगर नजर डालें तो यह वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोग की वजह से इस बार की अष्टमी बहुत ही खास रहने वाली है। जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है। निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ठाकुरजी के भक्तों के लिए ऐसा संयोग जन्माष्टमी पर हुआ है तो उसे गंवाना नहीं चाहिए।

जन्माष्टमी व्रत करना रहेगा खास

जन्माष्टमी का व्रत आरंभ करने वालों के लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना बहुत ही उत्तम रहेगा। जो लोग पहले से जन्माष्टमी व्रत कर रहे हैं उनके लिए भी इस बार जन्माष्टमी का व्रत अति उत्तम रहेगा। स्मार्त और वैष्णव दोनों के लिए 30 अगस्त का दिन ही जन्माष्टमी व्रत के लिए उत्तम रहेगा।

Source: Jodhpur

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