जोधपुर. चाहे यहां की लोकेशन्स हो या फिर अदाकार, सिनेमा में सूर्यनगरी का सदैव योगदान रहा है। इसके बावजूद यहां के हुनर को तराशने के लिए उपयुक्त स्थान की दरकार, आज भी अनसुनी की जा रही है। अर्से से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे टाउन हॉल के हाल किसी से छिपे नहीं है और अशोक उद्यान स्थित ओपन थिएटर दर्शकों का मुंह नहीं देख पाया। ऐसे में अभिनय कलाकार उन्नत तकनीक, सुसज्जित मंच सहित आधुनिक लाइट व साउंड सिस्टम की कमी के चलते अपनी प्रतिभा को अच्छे से प्रदर्शित कर पाने में नाकाम हो रहे हैं। इस बीच कलाकार अरु व स्वाति व्यास ने अपने ही घर पर मिनी थिएटर का निर्माण कर इस दिशा में एक पहल की है।
छत पर करते थे नाटक की तैयारी, बना डाला थियेटर
अरु व्यास ने बताया कि एक कलाकार के लिए यह जरूरी हो जाता है कि उसके लिए 24 घंटे कोई स्थान उपलब्ध रहे। साथ ही वह अपनी रिहर्सल सहित अपने नाटक का मंचन आधुनिक तरीकों से कर सके। नाटक की तैयारियां अक्सर छत पर बैठकर ही की जाती थी, ऐसे में यहीं थिएटर निर्मित करने का विचार आया। उन्होंने प्रतापनगर स्थित अपने आवास पर ही थिएटर बनाया। ब्लैक बॉक्स, विंग्स, लाइट्स, स्टेज व एयरकंडीशनर आदि से रंगमंच तैयार किया गया है।
शहर के सभी वार्डों में हो मिनी थिएटर
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पासआउट अरु व स्वाति व्यास ने इस 20 गुना 40 थिएटर का निर्माण इस प्रकार किया है कि इसमें करीब 100 लोग बैठ सकें। इसमें अभिनय की पाठशाला के साथ ही वरिष्ठ रंगकर्मियों को गेस्ट लैक्चर के लिए आमंत्रित किया जाता है। बीते दिनों प्रख्यात कहानीकार रघुनंदन त्रिवेदी की कहानियों का दो बार मंचन किया जा चुका है और ढाई आखर शीर्षक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। व्यास ने बताया कि यदि इस प्रकार शहर के सभी वार्डों में थिएटर का निर्माण हो जाए तो न केवल कलाकार को सहायता होगी बल्कि शहर में कला व संस्कृति का विस्तार हो सकेगा।
जल्दी सफल होने की ललक से नुकसान
थिएटर कलाकार अरु व्यास का कहना है कि युवा पीढ़ी को फिल्मोनिया हो गया है। अर्थात् युवाओं को कम मेहनत में जल्द टीवी व सिनेमा में प्रसिद्धि प्राप्त करने की ललक बढ़ गई है। इससे कलाकार में धैर्य व समर्पण की कमी देखने को मिल रही है। वहीं वेब सीरीज व सोशल मीडिया के प्रभाव के चलते अनट्रेन्ड आर्टिस्ट की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में अभिनय के प्रति सही ट्रेनिंग की जागरुकता व आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है।
Source: Jodhpur