जोधपुर. भगवान कृष्ण के बड़े भ्राता भगवान बलराम का जन्म दिवस उदित तिथि के अनुसार ऊब छठ (चंदनषष्ठी पर्व) के रूप में शनिवार को हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। सुहागिनें घर-परिवार की सुख समृद्धि के लिए सूर्यास्त बाद चंदनयुक्त जल सेवन कर कठिन व्रत का संकल्प लेगी। इसके बाद निरंतर चन्द्रोदय तक खड़े रहकर उपासना एवं पौराणिक कथाओं का श्रवण करेगी तथा उदित चन्द्रमा को अग्र्य देकर कठिन व्रत का पारणा करेगी। शिव-गौरी उपासना से जुड़ा पर्व ऊब छठ शुक्रवार को भी मनाया गया। सुहागिनें घर-परिवार की सुख समृद्धि के लिए सूर्यास्त बाद चंदनयुक्त जल सेवन कर कठिन व्रत का संकल्प लिया। संकल्प के बाद व्रती महिलाओं में खड़े रहकर उपासना की और देर रात चन्द्रदोय के बाद अघ्र्य देकर व्रत का पारणा किया।
पूजा विधि
व्रती स्त्रियां इस दिन पूरे दिन का उपवास रखती है। शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ और नए कपड़े पहनती है। कुछ लोग लक्ष्मी जी और और गणेश जी की पूजा करते है और कुछ अपने इष्ट की। चन्दन घिसकर भगवान को चन्दन से तिलक करके अक्षत अर्पित करते है। सिक्का, फूल, फल, सुपारी चढ़ाते है। दीपक, अगरबत्ती जलाते है। फिर हाथ में चन्दन लेते है। कुछ लोग चन्दन मुँह में भी रखते है। इसके बाद ऊब छट व्रत और गणेशजी की कहानी सुनते है। इसके बाद व्रती जब तक चंद्रमा न दिख जाये, जल भी ग्रहण नही करती और ना ही नीचे बैठती है। ऊब छठ के व्रत का नियम है कि जब तक चांद नहीं दिखेगा तब तक महिलाओं को खड़े रहना पड़ता है। व्रती मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर पूजा अर्चना करके परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और खड़े रहकर पौराणिक कथाओं का श्रवण करती हैं। चंद्रोदय पर चाँद को अध्र्य देकर पूजा-अर्चना की जाती है। चाँद को जल के छींटे देकर कुमकुम, चन्दन, मोली, अक्षत और भोग अर्पित करते हैं।
Source: Jodhpur