Posted on

NAND KISHORE SARASWAT

जोधपुर. भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव जन्माष्टमी इस बार स्मार्त व वैष्णव भक्त 30 अगस्त को एक साथ मनाएंगे। पिछले कई सालों से स्मार्त और वैष्णव की अलग- अलग जन्माष्टमी होती रही है लेकिन इस बार अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र और उदित तिथि सभी का महायोग 27 साल बाद हो रहा है। सूर्यनगरी के सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में मध्यरात्रि को कृष्ण जन्मोत्सव पर पुजारियों की ओर से विशेष मनोरथ की तैयारियां शुरू कर दी गई है। वैष्णव भक्त उदित अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र के अनुसार अष्टमी मनाते है।
सुबह से कान्हा प्राकट्य तक रोहिणी नक्षत्र

इस बार सोमवार 30 अगस्त को जन्माष्टमी पर 27 वर्षों के बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन रात को 11.37 पर चन्द्र उदय होगा। भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 11.27 बजे से 30 अगस्त की रात 1.59 बजे तक रहेगी और 30 अगस्त की सुबह 6.38 बजे से 31 अगस्त सुबह 9.43 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। पिछले कई वर्षों में स्मार्त और वैष्णव की अलग-अलग जन्माष्टमी होती थी, इसका कारण ये था वैष्णव उदयातिथि और स्मार्त वर्तमान तिथि को मानते हैं। अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ होने को जयंती योग मानते हैं और इसलिए ये महासंयोग श्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिष अनीष व्यास ने बताया कि द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग पड़ा था। इस बार ये सब संयोग जन्माष्टमी पर है इस महासंयोग में व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।

प्रवर्धन योग भी
शास्त्रों में कहा गया है कि सोमवार में अष्टमी तिथि, जन्म समय पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करने वालों के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं । ग्रह नक्षत्रों के आधार पर जन्माष्टमी के दिन सूर्य उदय से लेकर रात्रि 1.59 बजे तक अष्टमी तिथि है। इसी दिन सुबह 6.38 बजे तक कृतिका नक्षत्र है जो स्थिर योग में इस व्रत की शुरुआत करेगा। उसके पश्चात 6.39 बजे से रोहिणी नक्षत्र आएंगे जो अगले दिन प्रात: 9.43 बजे तक रहेंगे। यह दिन और नक्षत्र का योग प्रवर्धन योग कहलाता है। इसको शास्त्रों मे सर्वार्थ सिद्धि योग भी कहा गया है।

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *