भवानीसिंह राठौड़@ बाड़मेर.
बाड़मेर जिला लिग्नाइट, ग्रेनाइट व मैसनरी स्टोन उत्पादन से सरकार का खजाना भर रहा है लेकिन खनन से प्रभावित गांवों के बाशिंदे मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है। जबकि यहां हर साल रॉयल्टी अंशदान के तौर पर तीस करोड़ का बजट डीएमएफटी योजना में जमा हो रहा है। जिम्मेदार डीएमएफटी कमेटी प्रभावित क्षेत्रों की बजाय सभी गांवों में खर्च कर रही है, जबकि नियमों के मुताबिक ऐसा नहीं कर सकते है।
विडंबना यह है कि डिस्ट्रिक मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) ने चार साल बीतने के बावजूद खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास के नाम खर्च नहीं किए है। नियम कहते है कि 60 प्रतिशत बजट पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, पेयजल जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च होना चाहिए, लेकिन यहा जिम्मेदार अफसर व जनप्रतिनिधि बिल्डिंग या सड़क निर्माण में बजट का पैसा खर्च कर रहे है।
दरअसल, बाड़मेर जिले में डीएमएफटी योजना के तहत 156 करोड़ 70 लाख रुपए के विकास कार्यों की स्वीकृति जारी की गई है। आंकड़ों में यह तथ्य सामने आया कि प्रभावित क्षेत्रों के बजाय सभी विधानसभा क्षेत्रों को बजट देने की स्वीकृति जारी की गई है।
यह है नियम
डीएमएफटी फंड में जमा बजट खनन प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व स्वच्छता सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के विकास पर पैसा खर्च होता है। इससे क्षेत्र में खनन होने के साथ गांव में सुविधाएं मिल सके।
यों मिला है डीएमएफटी का अंशदान
बाड़मेर जिले में अब तक रॉयल्टी से प्रभावित क्षेत्रों में खर्च करने के लिए 108 करोड़ 58 लाख रुपए का बजट डीएमएफटी योजना के तहत मिला है। अब तक बाड़मेर जिले में करीब 40 करोड़ रुपए खर्च कर चुके है। साथ ही अब 156 करोड़ 70 लाख रुपए की स्वीकृति जारी की गई है।
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यह है इन गांवों की स्थिति
दरुड़ा : दरुड़ा गांव में स्टोन मैसनरी की 22 खनन पट्टे जारी किए गए है। यहां अवैध खनन भी खूब है। गांव के बड़े क्षेत्रफल में भूमि पर पैड़-पौधें थे, लेकिन वर्तमान समय में जमीन बंजर हो गई है। यहां न तो स्वास्थ्य को लेकर कोई इंतजाम किए गए है और ना ही सड़क है।
सोनड़ी : सोनड़ी क्षेत्र में लिग्नाइट की माइंस है। जहां प्रतिमाह 40 हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा है, लेकिन यहां स्वास्थ्य केन्द्र को विभाग ने आवाप्त कर दिया था। लेकिन ग्रामीणों की मांग के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। और न ही गांव में विकास को लेकर कोई स्वीकृति जारी की गई है।
मांगता : गांव में ग्रेनाइट व मैसनरी की 24 खदान्नें है। यहां विकास को लेकर कोई बजट नहीं स्वीकृत किया गया है।
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आंकड़ों में रॉयल्टी का अंशदान
क्षेत्र – 2018 – 2019 – 2021 कुल स्वीकृत राशि – रॉयल्टी अंशदान
बाड़मेर – 45.45 – 575.70 – 5623.51 – 6244.66 – 9297.41
बायतु – 165.96 – 312.85 – 1921.00 – 2399.81 – 96.30
शिव – 102.13 – 359.76 – 1634.78 – 2096.67 – 735.89
चौहटन – 203.43 – 135.30 – 680.50 – 1019.23 – 123.44
गुड़ामालानी – 92.15 – 324.25 – 969.50 – 1385.90 – 158.81
सिवाना – 232.99 – 534.78 – 219.50 – 987.27 – 4.31
पचपदरा – 74.72 – 364.06 – 1098.54 – 1537.32 – 442.72
कुल – 916.83 – 2606.70 – 12147.33 – 15670.86 – 10858.90
(राशि लाखों में)
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यह ऐसे गांव है, जहां होता है मैसनरी/गे्रनाइट स्टोन
प्रभावित गांव – खनन पट्टों की संख्या
आटी (बाड़मेर) – 20
सरणु (बाड़मेर) – 29
दरुड़ा (बाड़मेर) – 22
मांगता (बाड़मेर) – 24
बाछड़ाऊ (चौहटन) – 14
धोरीमन्ना (गुड़ामालानी)- 10
असाडा (पचपदरा)- 21
आसोतरा – 19
मण्डली – 22
नागाणा – 15
थोब – 11
मुंगेरिया (शिव)- 29
सणपा (सिणधरी)- 16
देवड़ा (सिवाना) – 39
फुलण – 20
इन्द्राणा – 16
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लिग्नाइट प्रभावित गांव
जालिपा, सोनड़ी, कपूरड़ी, गिरल लिग्नाइट प्रभावित गांव है।
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फैक्ट फाईल
कुल खनन पट्टे – 656
रॉयल्टी में मिला कुल अंशदान – 108 करोड़ 58
स्वीकृत विकास कायज़् – 156 करोड़ 70 लाख
विकास के लिए हर साल मिलता है 30 करोड़ रुपए का राजस्व
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– अस्पताल के तरस रहे है
कोयले की माइंस कई वषोज़् है। गांव पूरा प्रभावित है, लेकिन विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है। माइंस ने अस्पताल आवाप्त किया था और कब्जे में लिया, लेकिन गांव के लिए न तो स्वास्थ्य को लेकर कोई इंतजाम है और न ही पेयजल के पुख्ता इंतजाम है। – दलपतसिंह, सरपंच, ग्राम पंचायत सोनड़ी
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Source: Barmer News